हीरामंडी बना के पछता रहा है, इस वेब सीरीज ने मुँह दिखाने लायक़ नहीं छोड़ा…

काम ऐसा करो कि कई महीनों तक उस काम को करने की सफाई देनी पड़े ऐसा ही कुछ हुआ है संजय लीला भंसाली के साथ हीरा मंडी को लेकर संजय लीला भंसाली ने हीरा मंडी तो बना ली लेकिन इसे कई लोग क्रिटिसाइज भी कर रहे हैं लोगों का कहना है कि हमेशा संजय लीला भंसाली कुछ ऐसी चीजें करते हैं जिससे लेना देना नहीं है अब तवाफे कैसे रहती थी कोठे कैसे होते थे उसे ग्लोरिफाई करके संजय लीला भंसाली क्या दिखाना चाह रहे हैं उन्होंने इंडस्ट्री की खूबसूरत हीरोइनों को तवा!–यफ के रूप में पेश किया है और बताया है कि तवा प्रोजेक्ट का बचाव करते हुए कहा है कि मैंने अगर तवा—यफ की कहानी दिखाई है.

तो वो और भी चीजों के लिए जानी जाती हैं जैसे कि वोह बहुत ही खूबसूरत औरतें होती थी बहुत अच्छे से तैयार होकर रहती थी उनके बोलने का तरीका बहुत अलग था और वो काफी अदब से पेश आती थी इसके साथ ही उनके जिंदगी में कितने चैलेंज थे और अंदर की क्या पॉलिटिक्स थी वो मैंने दिखाने की कोशिश की है जहां तक बात है क्रिटिसिज्म की तो यह कहानी बहुत सालों पुरानी है और तब की है जब ना मैंने वो लाहौर देखा था और ना ही मैंने वो हीरा मंडी देखी थी मैंने जो कुछ भी इस सीरीज में किया है वो लोगों से सुनकर और जो कुछ मैंने पढ़ा है जो रिसर्च में मुझे मिला है उसके हिसाब से किया है यह काम फिक्शन का है मैंने हीरा मंडी नहीं देखी है और आज की हीरा मंडी के बनिस्बत 20 और 30 की हीरा मंडी कैसी दिखती थी वो मैं भी नहीं जानता.

इसीलिए यह वर्क ऑफ फिक्शन है उसे उसी एंगल से देखा जाना चाहिए तो संजय लीला भंसाली ने फाइनली क्रिटिसिज्म पर चुप्पी तोड़ी है संजय लीला भंसाली के साथ यह वैसा ही हुआ है जैसा संदीप वांगा रेड्डी के साथ एनिमल फिल्म को लेकर हुआ था एनिमल फिल्म की चर्चा रही फिल्म सक्सेसफुल भी हुई फिल्म ने पैसा भी बहुत कमाया लेकिन संदीप वांगा रेड्डी इंटरव्यूज में अपनी फिल्म का बचाव ही करते रह गए और संजय लीला भंसाली के साथ भी हीरा मंडी में ऐसा ही होता नजर आ रहा है.

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