फिल्म इंडस्ट्री में अगर कपूर खानदान की बात करें तो कपूर खानदान के वारिस होने अपनी अलग छाप छोड़ी है मालूम हो तो बताना चाहेंगे कि हिंदी सिनेमा जगत के इतिहास में कई सारे ऐसे कपूर खानदान के वारिस हैं जिन्होंने अपना अलग योगदान दिया है और उन्हीं में से एक हैं शशि कपूर इन्हें कैसे भूला जा सकता है फिल्म इंडस्ट्री में शशि कपूर ने अपने अभिनय पर अदाओं से लोगों को दीवाना बना दिया था 70 के दशक में उनपर फिदा होने वाली लड़कियों की कोई कमी नहीं थी यहां तक कि वह खुद बोल 1st की एक्ट्रेस का भी करेक्ट थे राजेश खन्ना का जादू जहां 70 के दशक में सब पर सिर चढ़ कर बोल रहा था तो उसी के साथ लोगों के दिलों में इस चारमिंग और हैंडसम एक्टर के लिए भी बेशुमार मोहब्बत थी.
शशि कपूर की बात करें तो उनका जन्म 18मार्च 1978 को कलकत्ता में हुआ था और सबसे पहले इनका नाम बलबीर राज कपूर था कपूर खानदान में जन्म में शशि कपूर ने अपने शानदार फिल्मी सफर के दौरान खूब लोकप्रियता बटोरी और हैंडसम और 4 मिनट एक्टर के तौर पर यह ने खूब नाम कमाया यह कपूर खान पहले से बारिश थे जिन्हें एक कप विदेशी महिला के साथ शादी की थी जिनका नाम था चयनित फट जेनिफर के साथ अपने रिश्ते को लेकर काफी ज्यादा चर्चाओं में रहे और अपनी पत्नी से इनके तीन बच्चे हुए हिंदी सिनेमा जगत के इतिहास में जो इन्होंने योगदान दिया है उसके फलस्वरूप पर 2011 में इन्हें पदम विभूषण से भी नवाजा गया और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड एंड 2014 में मिला लेकिन बदकिस्मती की वजह से चार december 2017 को मुंबई के महाराष्ट्र में इनका देहांत हो गया बने आज हमारे बीच में नहीं है.
लेकिन के शानदार फिल्मी सफर को देखने के बाद हर कोई इनका दीवाना हो जाता है ऋषि कपूर की बात करें तो अपने दौर के सबसे बड़े सुपरस्टार में से एक थे जिनके आगे कोई भी नहीं दिखता था चलिए आज हम आपको बताते हैं शशि कपूर के उस दौर के बारे में जहां पर इस अभिनेता को सबसे अपना बुरा दौर देखने को मिला है यह साफ शब्दों में कहे कि इस अभिनेता ने जीते जी नरक देख लिया था में कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाले शशि कपूर ने अपने लाइफ में कुछ ऐसी गलतियां भी की थी जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी वह कंगाल हो गए थे और उन्हें अपना घर का सामान बेचकर गुजारा करना पड़ा था खबरों की माने तो साठ के दशक में उन्हें फिल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो गया था इस बात का खुलासा खुद उनके बेटे कुणाल कपूर ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था.
उन्होंने बताया था कि पापा को 60 के दशक में फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया था जिसकी वजह से पैसों की काफी तकलीफ होने लगी थी पापा ने अपनी प्रसिद्ध स्पोर्ट्स का तक बेच दी थी और मम्मी जेनिफर को भी रुपयों के लिए अपना सामान बेचना पड़ा था आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि उस वक्त शशि कपूर के ऐसी हालत हो गई थी कि इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस भी उनके साथ काम करने को तैयार नहीं थी ऐसे में नंदा ने उनका साथ दिया और दोनों ने साथ में फिल्म जब फूल खिले की जो बड़ी हिट साबित हुई हालांकि उनके नाम के पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा छुपा हुआ है कोलकाता में जन्मे शिशु का असली नाम बलबीर राज कपूर था लेकिन उन्हें पहचान मिली शिकार आपसे दरअसल नाम फिल्म इंडस्ट्री में नहीं बल्कि उनकी मां ने दिया था.
उन्हें बलबीरा से चिढ़ थी सबसे छोटे होने की वजह से शशि कपूर के अंकल आंटी उन्हें नेपोलियन कहकर बुलाया करते थे जो बिल्कुल पसंद नहीं करते थे ऋषि कपूर की पढ़ाई डॉन बॉस्को स्कूल पर हुई या व फेमस क्रिकेटर फारुख इंजीनियर के साथ क्लास में एक बेंच पर बैठे थे ऋषि कपूर ने एक इंटरव्यू बताया था कि वह पढ़ाई में अच्छे नहीं थे उन्होंने खुद को मैट्रिक फैल बताते हुए कहा था कि पास ना होने पर पिता ने उन्हें डांटा नहीं था बल्कि फिर से एग्जाम में बैठने को कहा तब सचिन ने अपने पिता को कहा कि मैं कैंटीन में बैठकर उनका पैसा बर्बाद नहीं करना चाहता इसी के साथ या गर्म के फिल्मी सफर की शुरुआत की बात करें तो 1953 में शशि कपूर थिएटर से जुड़ गए थे पहली तनख्वाह के रूप में rs.75 मिले थे जो इस दौड़ के लिहाज से काफी बड़ी रकम हुआ करती थी वह खानदान के पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने विदेशी महिला से शादी की थी और इसको भी लेकर काफी बवाल हुआ था शशि कपूर ने शेक्सपियर नामा नाम से थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया था.
जिसे लोहरी कैंडल चलाते थे इन्हीं की बेटी थी जेनिफर केंडल जेनर की मुलाकात और प्यार परवान चढ़ने लगा आशीर्वाद से अपने जीवन को लेकर काफी से स्थित कुंड कम उम्र में ही डिसाइड कर लिया था कि उन्हें शादी करनी है और मेहनत करके पैसे कमाए हैं इसलिए 18 साल की उम्र में ही अपने से चार साल बड़ी जेनिफर केंडल से शादी करने के लिए तैयार हो गए थे उन्हें एक इंटरव्यू के दौरान इस बारे में बताया था हालांकि तीनों भाइयों शशि कपूर शम्मी कपूर राज कपूर मैं सिर्फ मैं ही था जो अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह निश्चित था फिर चाहे वह प्यार हो शादी हो या एक्टिंग जो मैंने जेनिफर को देखा तो मैं सिर्फ 18 साल का था मेरे माता-पिता ने कहा हे भगवान अपनी उम्र तो देखो मैंने कहा ठीक है मैं इंतजार करूंगा मैंने दो साल इंतजार किया पेरेंट्स ने फिर पूछा है क्या तुम अब भी उसके साथ शादी करना चाहते हो मैंने फिर हां कहा था लगी शशि कपूर ने फिल्मों में डेंगू के बारे में बातचीत करते हुए कहा था कि मुझे फिल्मों में काम अपने परिवार के रसूख के चलते नहीं मिला.
बल्कि मैं तो फिल्मों में आया ताकि मेरे परिवार का गुजारा चल सके 1968 में आधे कप बेटा भी हो चुका था 1965 तक मुझे महसूस होने लगा कि मुझे और पैसे कमाना चाहिए और मैं जब फिल्मों में आया तो स्टार बनने के वास्ते नहीं सिर्फ जॉब करना चाहता था बस अपना काम करो बेहतर एक्टिव करो और भूल जाओ और मैंने ट्रैक्टर को अलविदा कहा तो दोस्तों यह थे शनि कपूर की कहानी या अपने दौर के सबसे हैंड समाचार में एक्टर हुआ करते थे और उस दौर के सबसे बड़े अभिनेताओं में से एक भी माने जाते थे लेकिन किस हिसाब से अपनी कुछ गलतियों के कारण इन है तंगी जैसी हालात से भी गुजरना पड़ा ऋषि कपूर ने फिल्मों में काम करने के साथ ही कुछ फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया था इनमें से एक संधि अजूबा जो साल 1995 में आई थी इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर दोनों ही शशि कपूर थे उस वक्त यह फिल्म रुपए में बनी थी.
जिसमें अमिताभ बच्चन ऋषि कपूर डिंपल कपाड़िया सोनम लीड रोल में थे फिल्म सुपर फ्लॉप रहीं इस फिल्म में ऋषि कपूर व करीब साढे तीन करोड रुपए का घाटा उठाना पड़ा इस नुकसान की भरपाई उन्होंने अपनी कुछ प्रॉपर्टी बेचकर की थी हालांकि आपको इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि शशि कपूर को आखरी बार सन् 1998 में फिल्म यूनाइटेड स्टेट में देखा गया था जिसमें उनके साथ शबाना आजमी ने लीड रोल में दिखाई दी थी इसके बाद वह धीरे-धीरे लाइमलाइट से दूर होते चले गए और चार december 2017 को शशि कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया तो दोस्तों यह थे कपूर खानदान के ऐसे वारिस जड़ों में खूब लोकप्रियता बटोरी लेकिन अपने कुछ गलतियों की वजह से इन्हें भारी नुकसान भी झेलना पड़ा अब आपको इनके जीवन के बारे में क्या कहना है को पढ़कर अपना सुझाव देना ना भूलें है हुआ है.