कि शेफाली जरीवाला जी की उम्र तो 42 साल थी। सिद्धार्थ शुक्ला 40 साल का था। बॉडी बिल्डर था। शरीर स्वच्छ था। जिम करता था। फिट दिखता था। और शेफाली जी के बारे में भी ये कहा जा सकता है कि बिल्कुल फिट दिखती थी। उनको किसी तरह की कोई दीवारी कम से कम देखने पे पता नहीं चल। हार्डवेयर ठीक थे। सॉफ्टवेयर गड़बड़ था। सिम्टम्स ठीक थे। सिस्टम गड़बड़ था। तो ये हमारा स्ट्रक्चर करक्टर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर जो एक होता है दिखना। एक होता है होना। तो अंदर से हमारा जो ताना-बाना है ना वो मजबूत होना चाहिए। ये जो ऊपर का दिखावा है,
ना एक होता है दिखना। एक होता है होना। इसमें फर्क होता है। बहुत बड़ी बात आप दिखना और होना। मैं ये इसीलिए स्वामी जी आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या कोई प्रकृति को हरा सकता है? क्योंकि एक चीज तो निश्चित है और वो है मृत्यु। जिस दिन आदमी जीवन जन्म लेता है, उस दिन उसकी मौत तय हो जाती है। लेकिन उस मौत को डिफाई करने को लेकर आदमी पूरी जिंदगी प्रयास करता रहता है। और अंत में अंत में स्वामी जी बस कंप्लीट कर लूं। अंत में वो आप सुंदर बने रहने के लिए जैसा आपने कहा बूढ़ा ना दिखे, जवान दिखे, बाल सफेद ना हो, चश्मा ना लगे।
ये तमाम तगड़ा में करता रहता है। क्या आप प्रकृति से लड़ सकते हैं? तस्मात अपरहार्थ सोच यह जो बचपन है वह जवानी में जवानी बुढ़ापे में रूपांतरित होती है। लेकिन ये बुढ़ापा कम वक्त ऐसा है ये आपको लेकर के ही जाता है। ये जीवन का जो परिवर्तनशील चक्र है ना इसको आप स्लो डाउन कर सकते हैं। ये बात सही है। हम थोड़ा सा जैसे आप यदि जीवन में पूर्ण संतुष्ट रहते हैं। आपका खानपान पर आहार विचार पर फिजिकल बॉडी का जो स्ट्रक्चर होता है स्ट्रक्चर कररेक्टर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर सिम्टम सिस्टम दिखना होना इसमें जब आपका आहार जो कि जो फिजिकल स्ट्रक्चर है उसका,
बेस है रॉ मटेरियल है विचार जो आपका इमोशनल देखो फिजिकली बहुत से लोग दरिद्र होते हैं मेंटली इमोशनली स्पिरिचुअली सोशली पॉलिटिकली फिर ये दरिद्रताओं की अलग-अलग फिर जो है शाखाएं हैं जैसे आजकल ये जो कोई किसी की चुटिया काटने में लगा है। कोई किसी को जलाने में लगा है। कोई किसी को मारने में लगा है। कोई किसी के साथ रेप करने में लगा है। अच्छा चारों तरफ चर्चा हो रही है। ये खूनखराबा क्यों हो रहा है? ये युद्ध क्यों हो रहा है? आदमी का इतना चारित्रिक वैचारिक पतन क्यों हो रहा है? ये लड़ाई झगड़ा क्यों हो रहा है? ये डिवोर्स क्यों हो रहा है? ये आदमी,
बेईमान क्यों हो रहा है? ये आदमी पेड़ों को क्यों काट रहा है? ये आदमी जो है प्रकृति के विरुद्ध क्यों चल रहा है? इस आदमी का हर विचार ठीक क्यों नहीं है? अरे सब बातों का मूल यह है कि आदमी इंसान अपनी मूल प्रकृति जो मूल स्वभाव है हमारा जो मूल डीएनए है जी उससे जुड़ा रहेगा तो ठीक रहेगा और मनुष्य की सहज आयु भी ये मैं बड़ी बात कह रहा हूं सुमित जी जरा गौर से सुनिए मनुष्य की सहज आयु 100 साल की नहीं है मनुष्य की सहज आयु कम से कम 150 200 साल की है। अब उसमें हमने इतना बोझ ला लाद लिया अपने दिमाग पर अपने दिल पर अपने लीवर,
पर जो आदमी को 100 साल में खाना चाहिए वो 25 साल में खा पी के बराबर कर देता है तो आपने अपने शरीर कैसे इस बॉडी को हील करना कैसे बॉडी को डील करना आप एक कंप्यूटर में लेकर के आते हैं तो उसको ऑपरेट करना आता है आपको अपने आपको कैसे ऑपरेट करना है कैसे कोपरेट करना है ये आता ही नहीं है आदमी यदि ठीक-ठाक चलता रहे तो यह बात सच है कि 100 साल तक बूढ़ा नहीं होगा सभी.