एक्टर के बेटे कुणाल गोस्वामी ने पिता की मौत का दुख किया सांझा..

हमारे साथ कुणाल गोस्वामी है कुणाल जी आज पूरे देश के लिए बेहद भाव और दुखद दिन है मनोज जी हमारे बीच नहीं रहे हैं आखरी उनके लम के बारे में बताइए सर उनके लमहे ज्यादा तो लोगों ने स्क्रीन पर ही देखे हैं और जो उनके लम हैं वह भारत कुमार नाम के नाम से ही चलते हैं और उसी नाम से वह याद रहेंगे और मैं खुश हूं कि उनको लोगों का इतना प्यार मिला है मोदी जी ने ट्वीट किया है सबने अपना इतना प्यार इजहार किया है.

बाकी सबकी तरह मैं चाहूंगा उनकी आत्मा को शांति मिले काफी एज हो गई थी काफी एलमेंट थी उनको बट अब वह सुख चैन से गए हैं और भगवान उकी आत्मा को शांति आज जब हमारे बीच नहीं है तो कई फैंस जो है उन्हें चाहने वाले हैं जैसे कि आपके भरत कुमार के नाम से जानते हैं भारतीय सिनेमा में जो उनका योगदान रहा है उस बारे में आप बताइए बतौर क्योंकि फैंस तो सभी जानते बट बतौर बेटे आपके लिए भी कितना घर जो पर्दे पे था.

वही घर पर था जो आपको वो शिक्षा या मैसेज फिल्मों के द्वारा देते थे वही हमको घर में देते थे और बिल्कुल साधारण इंसान जो बोलते हैं ना जैसे वो उपकार में दिखे थे घर पर वैसे ही थे उनको वही मंग की दाल और वही दो रोटी चाहिए थी बस उसके अलावा वो कुछ चाहते नहीं थे तो वही संस्कार उन्होंने हमको भी दिए देखते कोई फिल्म सितारा जब उसे कामयाबी मिलती है तो कई तरह के बातें लेकिन इनका जीवन हमेशा से साधन रहा उनके कई फैन से कई स्टार से हमारी बातचीत उनका कहना कि हमें लगता ही नहीं था कि कोई इतना बड़ा सुपरस्टार से हम मिल रहे हैं.

बात कर रहे उनकी सादगी भरे उस जीवन के बारे में बताइए व्यवहार के बारे में विस्तार से बताइए सर अभी इस वक्त मैं विस्तार से ज्यादा बात नहीं कर सकता हूं नहीं लेकिन वो बहुत ही साधारण इंसान थे बहुत उनको अपनी मिट्टी से प्यार था उनको सबसे प्यारा अपना देश था अपनी माटी थीम लोग फिल्म को एक बिजनेस का जरिया देखते कमर्शियल फॉर्म देखते लेकिन उन्होंने लेकिन उन्होंने बिजनेस के साथ-साथ देश प्रेम का उस भावना के बात क्या चीज थी जो उन्हें मोटिवेट करती थी या इस उन्होंने सोचा कि इससे समाज में एक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाए.

फिल्मों के जरिए देखिए जरूरी यह होता है कि जब आपके एक माध्यम हो फिल्म बनाने का उसमें आप एक कोई तर्क का मैसेज डाले जो आपकी देश को हेल्प करें वह बहुत जरूरी होता है वह बहुत अच्छा मीडियम होता है कि आप उसको यूज करें आज भी उनकी फिल्में जो है रिलेवेंट मानी जाती है चाहे पूरा पश्चिम हो उपकार हो या फिर रोटी कपड़ा मकान हो उनके बारे में बताइए अब उपकार देखिए 1960 की फिल्म थी व आज भी रिलेवेंट है उसके बाद पूरा पश्चिम बनी थी ब्रेन ड्रेन जो यहां से बाहर पड़ने जाते हैं वो आज भी रिलेवेंट है यह सारे टॉपिक्स तब बने थे.

आप मानिए पूरब और पश्चिम उन्होंने लिखी थी और बनाई थी बगैर कभी अब्रॉड गए कभी फॉरन गए नहीं थे लेकिन उसके बावजूद उन्होने लिखी और बनाई हरे रामा हरे कृष्णा रेवोल्यूशन जो पूरे मूवमेंट थी वो कैसे यूज किया उन्होने तो यह सब चीज आज भी रिलेवेंट है ब्लैक मार्केट रोटी कपड़ा मकान में जो दिखाया था.

आज भी रिलेवेंट है हर चीजें अभी भी चल रही है तो यह सब चीज उन्होंने शुरू से रखी हुई थी और वो आज भी रेवेंट है हमसे बात करने के लिए तो यह थे कुणाल गोस्वामी मनुज कुमार जी के बेटे उनका कहना है कि आज भी उनकी फिल्में जो है वो रिलेवेंट है और वोह तमाम फैंस का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि आज इस दुख की घड़ी में वह परिवार का साथ दे रहे हैं.

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