जब किशोर कुमार ने अमिताभ के लिए गाना गाना बंद कर दिया – क्या हुआ था?..

अचानक ऐसा क्या हुआ कि इन गानों को रिकॉर्ड करने के तुरंत बाद किशोर शोरदा गायब हो गए और बाकी गानों को रिकॉर्ड करने से साफ इंकार कर दिया असल में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म अभिमान की कहानी एक ऐसे गायक की थी जो अपनी पत्नी की बढ़ती सफलता से ईर्ष्या करने लगता है किशोर दा को ऐसा लगा मानो यह कहानी उनकी ही जिंदगी से ली गई हो अपने निजी दुखों से घिरे किशोर कुमार इस कहानी से इतने आहत हुए कि उन्होंने फिल्म से किनारा करना बेहतर समझा बरसों बाद एक इंटरव्यू में ऋषिकेश मुखर्जी ने खुद माना था कि यह कहानी सच में किशोर कुमार और उनकी पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता के रिश्ते की ही झलक थी.

वैसे दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किशोर कुमार ने अपने पूरे करियर में सबसे ज्यादा गाने राजेश खन्ना के लिए गाए थे लगभग 245 गाने वहीं अमिताभ बच्चन के लिए उन्होंने करीब 131 गाने गाए एक बार तो किशोर दा ने यह तक कहा था कि उनकी आवाज के लिए पहली पसंद हमेशा राजेश खन्ना ही रहेंगे लेकिन कमाल की बात यह है कि अमिताभ के लिए किशोर कुमार ने जितने भी गाने गाए उनमें से लगभग हर गाना सुपरहिट साबित हुआ इन गानों ने सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान का दिल जीत लिया था.

साल 1977 की ब्लॉकबस्टर फिल्म अमर अकबर एंथनी में जब किशोर दा की आवाज में अमिताभ ने गाया माय नेम इज एंथनी गॉन साल्वेस तो पूरा देश झूम उठा था माय नेम इज एंथनी गोंसाल्वेस मैं दुनिया में अकेला हूं उसी साल फिल्म खून पसीना में खून पसीने की जो मिलेगी तो खाएंगे जैसा दमदार गीत आया जिसने मेहनतकशों के दिलों को छू लिया अरे खून पसीने की जो मिलेगी तो खाएंगे नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जाएंगे साल 1978 की फिल्में कसमें वादे और डॉन के तो लगभग सभी गाने सुपरहिट हुए खासतौर पर खाई के पान बनारस वाला ने तो इतिहास ही रच दिया ओ खाई के पान बनारस वाला वहीं मुकद्दर का सिकंदर के गानों ने इमोशनल और रोमांटिक अंदाज में ऐसा जादू बिखेरा कि वो आज भी सदाबहार क्लासिक्स की श्रेणी में आते हैं.

तू तो साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना साल 1980 के दशक की शुरुआत में कुछ ऐसा हुआ जिसने अमिताभ और किशोर दा की शानदार जोड़ी में एक लंबा सन्नाटा ला दिया दरअसल किशोर कुमार उस समय अपनी फिल्म ममता की छांव में बना रहे थे उन्होंने चाहा कि उनके खास दोस्त अमिताभ बच्चन इस फिल्म में एक मेहमान भूमिका निभाएं लेकिन अमिताभ ने अपने व्यस्त शेड्यूल का हवाला देते हुए इंकार कर दिया किशोर दा इस बात से बहुत आहत हुए उन्हें लगा कि जिस कलाकार के लिए उन्होंने अपना दिल और आवाज दी वही अब उनके प्रोजेक्ट के लिए समय नहीं निकाल सका यही वो मोड़ था जब किशोर कुमार ने फैसला किया कि वह अब अमिताभ की फिल्मों के लिए गाना नहीं गाएंगे.

और वाकई अगले कुछ सालों तक उनकी आवाज अमिताभ की फिल्मों से गायब हो गई समय के साथ रिश्तों में आई खटास भी कभी-कभी पिघल जाती है और कुछ ऐसा ही हुआ साल 1983 में उस दिन किशोर कुमार अपने बेटे अमित कुमार का जन्मदिन मना रहे थे हंसी ठिठोली म्यूजिक और दोस्तों के बीच माहौल खुशनुमा था तभी दरवाजा खुला और सामने थे अमिताभ बच्चन वह सीधे किशोर दा के पास गए और बिना कोई लाग लपेट दिल से माफी मांगी इस एक पल ने सालों की दूरियों को मिटा दिया दो कलाकार जिनकी दोस्ती और कला एक दूसरे की पूरक थी.

फिर एक हो गए और यहीं से शुरू हुआ एक और सुनहरा अध्याय साल 1984 की फिल्म शराबी में किशोर दा ने एक बार फिर अपनी आवाज दी और दे दे प्यार दे दे प्यार दे प्यार दे प्यार दे दे हमें प्यार दे मंजिलें अपनी जगह है मंजिलें अपनी जगह है जैसे गाने फिर से लोगों की जुबान पर चढ़ गए अगर आपने भी किशोर दा और अमिताभ की इस जादुई जोड़ी के गीतों को दिल से महसूस किया हो तो इस वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करें.

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