10 लाख का एक पेड़ होता है चंदन का लाल चंदन का फिर भी चंदन की खेती लाल चंदन की खेती हर कोई आकर क्यों नहीं कर पता महंगा बिकता है इसकी खेती करने की छठ भी दे दी है तब भी आखिर लाल चंदन की खेती करने में लोगों के पसीने क्यों छठ रहे हैं लालचंद ने क्या ऐसा प्रोडक्ट है जिसका इस्तेमाल और श्रद्धालु से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने पूजा पाठ से लेकर फर्नीचर बनाने तक में किया जाता है जिसकी वजह से चंदन की डिमांड भारत से लेकर हमारे और चीन तक फिर भी आखिर ऐसी क्या वजह है चंदन के डिमांड और प्रोडक्शन में इतना अंतर है की जहां चंदन के डिमांड 30% है.
तो इसका प्रोडक्शन सिर्फ प्रतिशत चंदन की खेती लालचंद की खेती [संगीत] [संगीत] [संगीत] गृह बनाकर जवाब है इसका महंगा बिकता है की लोग इसकी तस्करी तक करने लगता हैं जैसे की हमने आपको बताया इसके प्रोडक्शन और डिमांड में बहुत बड़ा अंतर है इसीलिए कहा जाता है इसके डिमांड प्रोडक्शन और सप्लाई का यही जाप चंदन की तस्करी और गैंग वार करता है तो दोस्तों आखिर इसमें इतना गैप क्यों नहीं भारत में लोग चंदन और लाल चंदन की खेती करते हैं आखिर इसमें परेशानी क्या है तो दोस्तों इसकी कई वजह हैं सबसे पहले वजह है इसकी टाइमिंग जी हां चंदन की खेती 4 रिटर्न देने वाली फसल नहीं है.
बाजार में चंदन की कीमत जितनी ज्यादा होती है ना चंदन को गाने में भी उतनी हिजड़ोंजत करनी पड़ती है भारत में चंदन की खेती दो तरीके से की जाति है ऑर्गेनिक और 10 से 15 साल में लकड़ी का बन जाता है लेकिन ट्रेडिशनल तरीके से चांदनी खेती करने पर 20 से 25 साल बाद मुनाफा लिया जा सकता अब दोनों ही तरीके में एक लंबा वक्त लगता है [संगीत] दूसरी सबसे बड़ी वजह है इसका परजीवी होना चंदन एक तरंग है ऐसा नहीं है इसकी खेती के दौरान आप इसमें अच्छे से पानी दाल रहे हैं खाद दाल रहे हैं जिसकी ग्रोथ अच्छी होगी क्योंकि ये अपने ग्रोथ की अपना खाना खुद नहीं बनाते ये दूसरे पेड़ों की जड़ से अपना भजन लेते हैं इन्हें जमीन से फास्फेट और नाइट्रेट जैसे पोशाक तत्वों को लेने के लिए भी किसी दूसरे होस्ट पौधे की जरूर पड़ती है.
इसीलिए चंदन के पेड़ को परजीवी कहते हैं जो अकेला सरवाइव नहीं कर सकता ऐसे में अगर आप इसके पौधे को अकेला लगाएंगे तो वो जल्द ही मुरझा जाएगा यानी चंदन के पौधे की ग्रोथ के लिए होस्ट पौधे का होना जरूरी है उन्हें कई बार तो होस्ट पौधे होने के बावजूद भी कई कर्म से चंदन की ग्रोथ अच्छी नहीं हो पाती और बाद में इस पौधे को लेकर की आज आने वाला लंबा इंतजार बेकार हो जाता है वही चंदन की खेती हर कोई नहीं करना चाहता रीजन है तो सनी होगी की चंदन विश्व व्याप्त नहीं लगता राहत भुजंग जिससे पता चला है की चंदन के पेड़ पर सांप रिपेयर रहना पसंद करते हैं और चंदन की तासीर ठंडी होती है इसलिए साहब चंदन के पेड़ से लटका हुई आपको दिखे जाएगी परेशानी क्यों मूल तो ऐसी कुछ वजह है जिसकी वजह से लोग चंदन की खेती नहीं करना चाहते लेकिन हम तो आपको यहां एक बात बताना ही भूल गए दरअसल इसके पीछे काफी हद तक सरकार का भी हाथ रहा है जी हां शायद आपको मालूम हो की भारत में चंदन की खेती करना अलाउड नहीं था.
हां भाई तभी तो ये वीरप्पन जैसे लोग इसकी तस्करी किया करते थे दरअसल पहले भारत में चंदन की खेती पर बन लगा दिया गया था मतलब यूं ही बिना सरकार की जानकारी के कोई इंडिविजुअल चंदन की खेती नहीं कर सकता था लेकिन साल 2017 के बाद से चंदन की खेती पर लगी है बहन को हटा दिया जाए इन्हें कोई भी शख्स पूरे भारत में कहानी भी अपनी मर्जी से चंदन की खेती कर सकता है लेकिन चंदन के पेड़ को खुद काटना या कटवाना बाजार में भेजना अब भी अवैध है सरकारी नियमों की मैनें तो चंदन की खेती किसान कर सकते हैं लेकिन इसके पेड़ तैयार होने पर सरकार ही इसे खरीदी की और खुद ही एक्सपोर्ट करें इसके बदले में सरकार इसकी कीमत किसने को देखिए श्राप किसने को अब तक समझ नहीं ए रहा इसलिए लोग चंदन की खेती करने से कतराते हैं वैसे आपको बता दें की देश की से हैं जहां अब लोगों ने चंदन की खेती करनी शुरू कर दी बता दें ये एक चंदन के पेड़ से करीब 15-20 किलो लकड़ी मिल जाति है जिसको बाजार में ₹2 लाख तक की कीमत पर बेचा जाता है.
हालांकि चंदन की लकड़ी बाजार में तीन से 7000 किलो के भाव पर बिकती डिपेंड नहीं अपन क्वालिटी लेकिन मांग के करण इसे 10000 रुपए तक की कीमत पर की जा जाता है अगर किसान चंदन के 100 पेड़ों का और उसमें से अगर 70 पेड़ भी बड़े हो जाते हैं क्योंकि किसान 15 साल बाद पेड़ों को काटकर और बाजार में बेचकर 1 करोड़ आसानी से काम सकता है भारत में से पहुंचने किसान हैं तो चंदन की खेती से लाखों नहीं बल्कि करोड़ काम रहे हैं बता दें की भारत में चंदन का प्रोडक्शन अब काफी तेजी से घटाएं साल 1950 में देश में 4000 में चंदन होता था अगले करीब 60 साल में यहां खड़ा घटकर 500 मी तक ए गया है.
वही दुनिया में आज चंदन की लकड़ी की डिमांड की बात करें तो 5 से 6000 मैट्रिक के बीच चंदन के तेल की मांग 100 से 120 मी टंकी सही है की सप्लाई डिमांड में अंतर बहुत बड़ा है परेशान यही की देश और दुनिया में सुगंधित पेड़ की डिमांड हद से ज्यादा जी हां अब चंदन की बात हो और स्पेशली लाल चंदन का जयप्रणव भला ये कैसे हो सकता है क्योंकि दो तरह के चंद्र होते हैं सफेद और लालचंद लाल चंदन के डिमांड सबसे ज्यादा होती है आखिर इस्लाम चंदन में ऐसा क्या है भला लाल चंदन जी से रेड सैंडलवुड भी कहते हैं इस लाल सोना कहा जाता है दरअसल ये सिर्फ हमारे देश भारत के साउथ इलाके में ही मिलते हैं उसमें भी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कर जिलों में सिर्फ यही पर नेल्लूर कुरनूल का डब्बा और चित्तूर में ही पेड़ पे जाते हैं.
जो आपने फिल्म पुष्पा में देखा होगा लाल चंदन बहुत महंगा बिकता है जिसके डिमांड विदेश में बेहद ज्यादा है और ऑस्ट्रेलिया जापान सिंगापुर डिमांड बहुत ज्यादा है लाल चंदन की खुशबू सफेद चंदन के तुलना में ज्यादा तीव्रता होती है और बेहद जबरदस्त लकड़ी होती है लाल चंदन की देखने में ही मजा ए जाता है तो दोस्तों आशा करते हैं आपको लाल चंदन और चंदन से जुड़ी और उसकी खेती से जुड़ी साड़ी जानकारी आपको मिल गई होगी और आपकी क्यूरोसिटी भी शान हो गई होगी या फिर क्यों हर कोई लाल चंदन और चंदन की खेती भारत में नहीं करता जबकि वो इतना महंगा बिकते हैं.