शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में कैसे रहेंगे, हैरान करदेने वाली माहिती बहार आई..

शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद इतिहास रचते हुए अंतरिक्ष की यात्रा पर निकल चुके हैं। यह मिशन 25 जून 2025 को फ्लोरिडा केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस एक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च हुआ और लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद आज गुरुवार 26 जून को शाम 4:30 पर आईएसएस पर डॉक कर जाएगा। यानी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच जाएगा। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में 14 दिन तक रहेंगे और वहां पर अनेक प्रयोग करेंगे। लेकिन इसी बीच आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि शुभांशु शुक्ला 14 दिन अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष,

स्टेशन पर रह तो लेंगे लेकिन उस दौरान अगर उन्हें भूख लगी तो खाएंगे कैसे? प्यास लगी तो पानी पिएंगे कैसे? शौच मल आया तो जाएंगे कैसे? और सोने का मन किया तो क्या होगा? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो आपके मन में तेजी से दौड़ रहे होंगे। साथ ही आपका सवाल हो सकता है जितने भी देशों के अंतरिक्ष यात्री आज तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गए हैं उन्होंने इन क्रियाओं को कैसे किया है? तो चलिए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब और आपको लेकर चलते हैं अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के सफर पर। हमें आशा है कि यह पूरा वीडियो ध्यान से,

देखने के बाद आपका इस टॉपिक से जुड़ा कोई सवाल नहीं रहेगा। सबसे पहले तो आपका यही सवाल होगा कि शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में तो जा रहे हैं लेकिन वो 14 दिनों तक कहां रहेंगे? तो इस सवाल का आसान सा जवाब है अंतरिक्ष में जाने वाले सभी अंतरिक्ष यात्रियों का एक अंतरिक्ष में घर है जिसको अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन कहते हैं। इंग्लिश में इसको इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और शॉर्ट में इसको आईएसएस कहते हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में घर की तरह होता है। यहां पर भी घर जैसे चार दीवारें,

और एक छत होती है। हर अंतरिक्ष यात्री को यहां एक छोटा सा कमरा मिलता है जिसमें अंतरिक्ष यात्री के सोने, खाने और पीने के साथ-साथ सभी जरूरी सामान, अपनी किताबें, लैपटॉप, कपड़े सभी होते हैं। क्योंकि यही उनका छोटा ऑफिस भी होता है। यहां रहते हुए आप जीरो ग्रेविटी की वजह से अपने शरीर के भार को महसूस नहीं कर सकते। इसलिए सारी चीजें हवा में तैरती हैं। सबसे रोचक चीज जो होती है कि इस रूम में आप उल्टे हो जाएं या सीधे। आपको कोई सेंसेशन महसूस नहीं होती। बस देखने वाले को लग सकता है कि सामने वाला इंसान सीधा है या फिर,

उल्टा। यहां पर हर चीज हवा में तैरती है। फिर वो इंसान हो या फिर कोई भी चीज। शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से आने वाली सभी वीडियो में आपको ऐसे ही हवा में तैरते काम करते हुए नजर आएंगे। सुबह उठकर सबसे पहले पृथ्वी पर हम फ्रेश होने बाथरूम जाते हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या मैं बोलूं अंतरिक्ष में सबसे पहले शुरुआत ब्रश से होती है। इसी रूटीन को अंतरिक्ष में भी सभी यात्री फॉलो करते हैं। शुभांशु शुक्ला भी यही रूटीन फॉलो करने वाले हैं। लेकिन यहां बस यह रूटीन थोड़ा अलग तरीके से होता,

है। शुरुआत करते हैं टूथब्रश से। इसके लिए यहां बाथरूम बना होता है और एक किट मौजूद होती है जिसमें ब्रश, टूथपेस्ट जैसी जरूरी चीजें होती है। ब्रश करने के लिए अंतरिक्ष यात्री को सबसे पहले पेस्ट को ब्रश में लगाना होता है। यहां सारी चीजें तैरती रहती हैं। लेकिन पेस्ट हवा में नहीं तैरता क्योंकि यह स्टिकी होता है। ब्रश में पेस्ट लगाने के बाद पानी के लिए वाटर किट का इस्तेमाल करते हैं। इस किट से पानी भी लिक्विड फॉर्म में नहीं बबल की तरह बाहर आकर तैरने लग जाता है। जिसको आपको पीना होता है। ब्रश करने के बाद आमतौर पर,

पृथ्वी पर हम उसे थूक देते हैं। लेकिन स्पेस स्टेशन में इसके दो ऑप्शन होते हैं। या तो आप पेस्ट निगल जाए या फिर टॉवल पेपर में थूक दें। अगर आपने सामान्य तरीके से थूका तो वह ऐसे ही हवा में तैरने लगेगा। ब्रश करने के बाद अंतरिक्ष में बारी आती है शौच मल की। पेशाब जाने के लिए यहां के बाथरूम में एक पाइप लगा होता है जिसका कलर पीला होता है और मल त्यागने के लिए बहुत छोटी सी सीट बनी होती है। इस सीट में आपको सही से खुद को फिट करना होता है और फिर आसानी से जैसे आप पृथ्वी पर अपना काम कर सकते हैं। इस बात का खास ध्यान रखा जाता,

है कि कोई भी कतरा हवा में नहीं आए। अन्यथा यह हवा में तैरने लगेगा। पानी का इस्तेमाल यहां कम से कम करना होता है। इसलिए सफाई के लिए टॉवल नैपकिन का प्रयोग करते हैं। टॉवल भी यहां कई तरह के होते हैं। आप अपनी जरूरत के हिसाब से उसे प्रयोग कर सकते हैं। ज्यादा परेशानी होने पर आप डायपर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आपको बता दें कि पेशाब के लिए जो पीला पाइप लगा होता है उसमें पेशाब जाने के बाद ऑटोमेटिकली रिसाइकल होकर पीने के पानी में बदल जाता है। अंतरिक्ष यात्री इसी पानी को अंतरिक्ष में पीते हैं। सुबह फ्रेश होने,

के बाद बारी आती है नहाने की। स्पेस स्टेशन में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को कई कई दिनों तक नहाना नसीब नहीं होता। कपड़े धोना और बदलना तो और भी मुश्किल है क्योंकि यहां सबसे ज्यादा किसी चीज की कमी होती है तो वो है पानी। जैसा कि हमने आपको बताया पीने का पानी यहां पर पेशाब को रिसाइकल कर बनाया जाता है जो कि एकमात्र पानी का सोर्स है। तो नहाना और कपड़े धोना यहां कहां ही संभव होगा। नहाने और खुद को धोने के लिए शावर का उपयोग करने के बजाय अंतरिक्ष यात्री गीले तौलिए का उपयोग करके शरीर की सफाई करते हैं। अब बारी आती है,

खाने की। तो खाने के लिए आपको यहां भी घर की तरह एक किचन मिलेगा। जहां खाने की सारी चीजें डिहाइड्रेटेड फॉर्म में होती हैं। शुभांशु शुक्ला के लिए यहां पर पहली बार भारत का खाना, मूंग दाल का हलवा और आम रस जो स्पेशल इसरो ने बनाया है वो भी खाने के मेन्यू में उनके लिए उपलब्ध होगा। इसके अलावा खाने में यहां अंडे, मीट, सब्जियां, ब्रेड, स्नैक्स जैसी सभी वैरायटी मिलेगी। आमतौर पर यह स्पेशल खाना अमेरिका में बना होता है। लेकिन स्पेस स्टेशन में जापान और रूस के बने फूड भी मौजूद होते हैं। क्योंकि यहां पर अमेरिका ही नहीं रूस और,

जापान के भी अंतरिक्ष यात्री रहते हैं। रूस और जापान के एस्ट्रोनॉट्स का खाना उनके देशों से पैक होकर आता है। इसे गर्म करने के लिए माइक्रोवेव ओवंस होते हैं जिसमें खाना गर्म कर लिया जाता है। यहां सब कुछ डिहाइड्रेटेड और पैक्ड होता है। स्पेस स्टेशन में खाना इतना पर्याप्त होता है कि महीनों काम चलता रहे। यहां खाना खराब नहीं होता है। नासा कुछ महीनों बाद लगातार खासतौर पर खाने का बहुत कुछ एक खास तरीके से तैयार करके स्पेस स्टेशन पर भेजता रहता है। इस बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जा रहे हैं तो इसरो ने भारतीय खाना स्पेशल तरीके,

से तैयार करके उनके लिए मेन्यू में शामिल किया है। खाने के बाद बारी आती है पानी पीने की। आप में से काफी लोग होंगे जो खाने के तुरंत बाद पानी पीते होंगे। आइए जान लेते हैं अगर पानी पीने का मन हो तो कैसे पिएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि अंतरिक्ष में पानी एक कीमती वस्तु है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पानी को ले जाना मुश्किल होता है। इसलिए पीने के पानी के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के पेशाब को रिसाइकल करके पीने के पानी में शुद्ध किया जाता है और इसी पानी को अंतरिक्ष में पिया जाता है। पीने का पानी,

यहां पैकेट में होता है और जैसे ही बाहर आता है, बुलबुले बनकर हवा में उड़ने लगता है और इन बुलबुलों को ही पीना होता है। अंतरिक्ष में पानी ऐसे ही पिया जाता है। रात में खाना खाने और पानी पीने के बाद आप सोने जाते हैं। यहां पर अगर सोने का मन हुआ तो कैसे सोया जाएगा? चलिए आपको वह भी बताते हैं। हर अंतरिक्ष यात्री के छोटे से कमरे में ट्रेन की तरह एक बर्थ सीट सी जगह होती है। सोने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को इस खास तरह के स्लीपिंग बैग में खुद को बंद करके इस बर्थ सीट पर अटैच करना होता है। अटैच करने का मतलब बर्थ के तय पॉइंट,

से खुद को बांधना होता है ताकि सोते समय वह एक जगह से दूसरी जगह नहीं तैरें बल्कि फिक्स्ड होकर लेटा रहे क्योंकि यहां पर कोई भी चीज खुला छोड़ने पर जीरो ग्रेविटी की वजह से हवा में तैरने लगती है। सोने के लिए खुद को एक स्लीपिंग बैग के अंदर पैक करना पड़ता है। पैक होना इसलिए भी जरूरी होता है जिससे कि आपका शरीर एक जगह रहे। जो छोटे से केबिन में दीवार पर चिपकाया गया होता है। चिपकाया इसलिए जाता है ताकि यह इधर-उधर ना तैरे और कहीं टकरा ना जाए। एक अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सिर्फ 4 से 5 घंटे ही,

सोता है क्योंकि इतने में ही उनकी नींद पूरी हो जाती है। आपको बता दें कि अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने फ्री समय में काफी मस्ती भी करते हुए दिखाई देते हैं। वह वहां पर कई सारे गेम्स भी खेलते हुए अपना फ्री समय स्पेंड करते हैं। शुभांशु शुक्ला इस तरह से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिनों तक अपनी दैनिक क्रियाओं को इस प्रकार से पूरा करेंगे। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन सफल होने के बाद भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक और इतिहास रच देगा। साथ ही आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला अगले साल,

जाने वाले भारत केत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के चार यात्रियों में से भी एक अंतरिक्ष यात्री हैं। इस मिशन का अनुभव उनको गगनयान मिशन को सफल करने में भी काम आएगा। फिलहाल यह जानकारी आपको कैसी लगी? वीडियो को लाइक और नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर अपनी राय जरूर बताएं और हम उम्मीद करते हैं कि इस वीडियो की यह जानकारी आप अपने तक सीमित नहीं रखेंगे.

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