भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में निधन हो गया निर्माता निर्देशक और अभिनेता मनोज कुमार ने लंबा सिनेमाई सफर तय किया है 9 अक्टूबर 1956 को फिल्मों में हीरो बनने का सपना लिए 19 साल का एक नौजवान दिल्ली से मुंबई आता है और साल 1957 में अपनी पहली फिल्म फैशन में 19 साल के इस युवक को 80 से 90 साल के भिखारी का छोटा सा रोल मिलता है.
इस नौजवान का नाम था हरिकिशन गोस्वामी जो बाद में मनोज कुमार के नाम से मशहूर हुआ दरअसल बचपन में हरिकिशन ने 1949 में दिलीप कुमार की आई फिल्म शबनम देखी थी उस फिल्म में दिलीप कुमार का नाम था मनोज कुमार बस बचपन से ही उन्हें फिल्मों की दुनिया और मनोज कुमार का नाम दोनों पसंद आ गया यानी 12 से 13 साल की उम्र में ही तय हो गया कि हीरो बनना है और फिल्मी नाम होगा मनोज कुमार हरिकिशन ने इसके बाद कुछ और फिल्में की जिसमें मीना कुमारी जैसे बड़े सितारों के साथ छोटे-छोटे सीन करने को मिलते थे.
फिर साल 1961 में मनोज कुमार को बतौर हीरो ब्रेक मिला फिल्म कांच की गुड़िया से और इसके अगले ही साल विजय भट्ट की फिल्म हरियाली और रास्ता ने मनोज कुमार की जिंदगी का रास्ता भी बदल दिया करीब 40 साल के लंबे फिल्मी करियर में मनोज कुमार ने फिल्मों में काम भी किया और खुद फिल्में भी बनाई थी लेकिन आज हम उनके फिल्मी सफर की नहीं बल्कि बॉलीवुड सितारों से उनकी दोस्ती की कहानी बताएंगे बताएंगे कि किस तरह उन्होंने अमिताभ और धर्मेंद्र का करियर बचाया था दरअसल अपने दौर के अभिनेताओं के साथ मनोज कुमार के दोस्ताना रिश्ते थे.
एक इंटरव्यू में मनोज कुमार ने कहा था जब लगातार विफलताओं से हताश होकर अमिताभ बच्चन मुंबई छोड़कर दिल्ली वापस जाने के बारे में सोच रहे थे तब मैंने अमिताभ को रोका और अपनी फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में मौका दिया जब लोग अमिताभ को नाकामयाबी की वजह से ताने दे रहे थे तब भी मुझे उन पर पूरा भरोसा था कि वह एक दिन बहुत बड़े स्टार बनेंगे तो वहीं धर्मेंद्र और मनोज कुमार के संघर्ष के दिनों से भी दोस्ती पक्की हुआ करती थी मनोज कुमार उन्हें धर्मू बुलाते थे संघर्ष के दिनों में दोनों को साथ में रोल मिला धर्मेंद्र को ₹350 दिए गए तो मनोज कुमार को ₹450 मनोज कुमार ने काम करने से मना कर दिया.
धर्मेंद्र ने भी फिल्म नहीं की बाद में मनोज कुमार ने धर्मेंद्र से कहा कि वैसे ही हमारे पास पैसे नहीं है कम से कम तुम्हें तो फिल्म नहीं छोड़नी चाहिए थी तो धर्मेंद्र ने जवाब दिया था मैं अपने दोस्त के बिना फिल्म नहीं करूंगा एक बार जब निराश धर्मेंद्र बुरिया बिस्तर बांधकर मुंबई से लौट रहे थे तो मनोज जिद पर अड़ गए कि वह सिर्फ 2 महीने रुक जाए और उनका सारा खर्च वह उठाएंगे और जब उनके अच्छे दिन आए तो उन्हें रेलवे का फर्स्ट क्लास का पास भी दिया गया उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैं और धर्मेंद्र बार-बार चर्च गेट से गोरेगांव जाते और वापस आते यह तीन दिन तक चलता रहा.
तो वहीं एक इंटरव्यू में मनोज कुमार ने बताया था कि जब मेरे करीबी दोस्तों जैसे राजकुमार देव आनंद प्राण की फिल्में टीवी पर आती हैं तो मैं चैनल बदल देता हूं क्योंकि उन कलाकारों की यादें मुझे रुला देती हैं साल 1957 में फिल्म फैशन से बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरुआत करने वाले मनोज कुमार फिल्म इंडस्ट्री में भारत कुमार के नाम से भी मशहूर थे मनोज कुमार ने देशभक्ति से लबरीज कई शानदार फिल्मों में काम किया.
और 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के एपटा में जन्मे मनोज कुमार का आज 87 साल की उम्र में निधन हो गया देशभक्ति की थीम वाली फिल्मों ने मनोज कुमार को सिनेमा और दर्शकों के बीच खास पहचान दिलाई 1992 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था इसी के साथ इस वीडियो में इतना ही ऐसी और वीडियोस के लिए देखते रहें.