आपको 90 के दशक की एक सिंगर तो याद ही होंगी जो लड़कों की तरह कपड़े पहनकर गाने गाया करती थी जिसके रहने का तरीका बिल्कुल लड़कों की तरह था और हेयर स्टाइल भी लड़कों की तरह ही हुआ करता था लेकिन जब वो लड़की गाने गाया करती थी तो हर गाना सुपरहिट हो जाया करता था उसकी आवाज में एक जादू सा था कि सुनने के बाद लोग झूमने लगते थे इस सिंगर के प्राइवेट एल्बम जितने मशहूर हुए उतने तो बॉलीवुड सिंगर के गाने भी कभी पॉपुलर नहीं हुए थे इनकी आवाज बहुत ही सुरीली और मधुर थी और जब ये रोमांटिक गाने गाया करती थी तो लोग दीवाने हो जाया करते थे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि अचानक से ये सुरली आवाज बॉलीवुड से गायब हो गई क्या आप जानते हैं उनकी एक जिद ने उन्हें बॉलीवुड से गुमनाम कर दिया हम बात कर रहे हैं फाल्गुनी पाठक की हमें यकीन है.
आपने भी इनके गर्मों के गानों पर डांडिया जरूर खेला होगा और इनके एल्बम सॉन्ग आपके भी पसंदीदा रहे होंगे 90 के दशक में एक से बढ़कर एक सिंगर आए लेकिन जितनी धूम फाल्गुनी पाठक के गानों ने मचाई थी उतनी कोई और नहीं मचा सके फाल्गुनी गुजराती हैं लेकिन उनका जन्म मुंबई में 2 मार्च 1969 को हुआ था आपके मन में भी ये सवाल आता होगा कि फाल्गुनी पाठक लड़कों की तरह क्यों रहा करती थी असल में उनके पैदा होने से पहले ही उनकी चार बहनें पैदा हो चुकी थी और उनके जन्म के वक्त मां-बाप को उम्मीद थी कि लड़का पैदा होगा उनकी चारों बड़ी बहनें भी सोचती थी कि इस बार उनको एक भाई मिल जाएगा लेकिन फाल्गुनी का जन्म हुआ तो उनकी चारों बहनों ने उन्हें ही भाई मान लिया.
और बचपन से ही लड़कों की तरह उन्हें रखा लड़कों के जैसे कपड़े पहनाया करती हैं और थोड़े-थोड़े बाल हो जाते तो तुरंत कटवा दिया करती थी फाल्गुनी कभी फ्रॉग पहनती तो तुरंत उनको पैट शर्ट पहना दिया करती थी बस यहीं से फाल्गुनी ने लड़कों वाला लुक अपना लिया और लड़कों की तरह रहने लगी फाल्गुनी एक साधारण परिवार से थी लेकिन संगीत का शौक उन्हें बचपन से ही था 5 साल की उम्र में जहां सारे बच्चे खिलौने से खेला करते थे फाल्गुनी रेडियो पर लता मंगेशकर के गाने सुना करती थी धीरे-धीरे यह गीत संगीत उनके मन में ऐसे बस गया कि उन्होंने गाना भी शुरू कर दिया उनकी मां बहुत बहुत उन्हें सपोर्ट किया करती थी और अपनी बेटी को गुजराती लोक गीत सिखाया करती थी.
नवरात्रि होने पर नवरात्रि के गीत भी उनकी मां उन्हें सिखाया करती थी और बेटी के इस शौक को उन्होंने करियर बनाने के बारे में सोचा फाल्गुनी नवरात्रों पर डांडिया नाइट में गाने लगी हालांकि उनके पिता को फाल्गुनी का गाना पसंद नहीं था इसी वजह से एक बार फाल्गुनी की पिटाई भी हो गई थी जब वो सिर्फ 9 साल की थी घर वालों को बिना बताए 15 अगस्त पर स्टेज पर चली गई और गाना गाया लैला में लैला उनके पिता को जैसे यह बात पता चली वो गुस्से से आग बबूला हो गए और फाल्गुनी की पिटाई लगा दी वैसे पिता की नाराजगी भी उनका शौक कम नहीं कर पाई जब वो 10 या 11 साल की थी उनको बड़ा मौका मिला.
और एक गुजराती फिल्म मेकर ने उन्हें अपनी फिल्म में गीत गाने का मौका दिया और इस तरह उन्होंने अपनी फिल्म का पहला गाना उस दूर की मशहूर गायिका अल्का यागनिक के साथ गाया बस यहीं से फाल्गुनी की उड़ान शुरू हो गई थी नवरात्रि और गरबे में गाना गाने के साथ ही फाल्गुनी मशहूर भी हो गई थी लेकिन अब वो सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश में नाम कमाना चाहती थी सपना बड़ा था लेकिन उसे पूरे करने का हौसला उससे भी बड़ा था फाल्गुनी पाठक ने कुछ दोस्तों की मदद से एक बैंड बनाया और उसका नाम ता थैया रखा इस बैंड के साथ उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गीत गाना शुरू कर दिए लेकिन फिर भी उन्हें वो पहचान और शौहरत नहीं मिल पा रही थी जिसकी उन्हें तमन्ना थी और व दार थी अब उन्होंने कुछ अलग हटकर करने का सोचा 90 का दौर था.
और प्राइवेट एल्बम्स की धूम मची हुई थी बड़े-बड़े बॉलीवुड गायक अपने निजी एल्बम लॉन्च कर रहे थे इसी तरह से फाल्गुनी ने भी अपना प्राइवेट एल्बम लॉन्च करने का प्लान बनाया लेकिन उनको नहीं पता था कि उनका ये फैसला क्या रंग लेकर आएगा साल 1996-97 में उन्होंने अपने पहले एल्बम की तैयारी की और 1998 में कड़ी मेहनत के बाद उनका पहला एल्बम याद पिया की आने लगी लॉन्च हुआ एल्बम ने रिलीज होते ही ऐसी धूम बचाई कि 19 साल की लड़की की आवाज ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया रिया सेन के ऊपर फिल्म आई गई ये एल्बम इतनी हिट हुई कि सभी जगह फाल्गुनी पाठक की आवाज गूंजने लगी एल्बम के और दो गाने चूड़ी जो खनकी हाथों में और हिंगड़ मिलवा गई थी मोरे सैया भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब पॉपुलर हुआ एक छोटी सी लड़की की आवाज ने बड़े-बड़े बॉलीवुड गायकों को भी हैरान कर दिया.
और एक 19 साल की लड़की स्टार बन गई इसके अगले ही साल उन्होंने मैंने पायल है छनकाई नाम की एल्बम मार्केट में उतारी इस एल्बम के भी दो गानों ने धूम मचा दी और लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया सभी जगह उनके गीत गूंजने लगे यहां तक कि पार्टी में लोग इनके गानों पर नाचने लगे मशहूर कुछ इस तरह हुई कि उन्हें इंडियन मेडोना का खिताब दे दिया गया अगले साल 2000 में उनकी एक और एल्बम मेरी चुनर उड़ उड़ जाए रिलीज हुई इस एल्बम ने भी धमाका कर दिया इस एल्बम के आने के बाद फालगुनी पाठक सीधे सफलता के सातवें आसमान पर जा बैठी अब लोग इनके एल्बम का इंतजार करने लगे उनकी मीठी आवाज लोगों के सर चढ़कर बोल रही थी और उन्होंने एल्बम के जरिए लोगों को अपना दीवाना बना दिया था फाल्गुनी के गीतों की आंधी चल रही थी लेकिन अचानक ही फाल्गुनी बॉलीवुड से गायब हो गई ऐसा क्या हुआ उनके साथ कि उनके गीत आना ही बंद हो गए.
चलिए आपको बताते हैं असल में उनकी गुमनामी की वजह उनकी एक जिद बनी जिसका रिजल्ट यह हुआ कि उन्हें बॉलीवुड में गुमनाम कर दिया असल में उनके अच्छे दौर में उन्होंने कई ऑफर्स ठुकरा दिए जब उनका पहला एल्बम रिलीज हुआ था तो उनकी आवाज लोगों को ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स को भी पसंद आई थी इसके बाद वो फाल्गुनी के पास आते थे और उन्हें बॉलीवुड में गाने के ऑफर देते थे लेकिन वो सारे ऑफर्स को ठुकरा देती थी उनकी आवाज में ऐसी खनक थी कि वो बॉलीवुड की मशहूर गायिका बन सकती थी लेकिन उस समय प्राइवेट एल्बम का दौर था और उनके गाने धमाल मचा रहे थे पैसा इज्जत नाम सब कुछ उन्हें मिल रहा था शायद यही वजह थी कि वो बॉलीवुड में मिले उन अफसरों को एल्बम करने की इज्जत में खोती रही एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड के गानों में डबल मेहनत करनी पड़ती है.
इसी वजह से वो हिंदी फिल्मों में सिंगर नहीं बनी और उन्होंने बॉलीवुड को कभी सीरियसली नहीं लिया वजह जो भी रही वो प्राइवेट एल्बम्स का भी एक दौर था जो आया और चला गया इधर उन्होंने 2004 में अपना एल्बम दिल झ झूम-झूम नाचे रिलीज किया था लेकिन वो ज्यादा नहीं चला उन्होंने कुछ एक फिल्मों के लिए भी गाने गाए लेकिन वो भी नहीं चले और अचानक से एक जिद ने फाल्गुनी पाठक को गुमनाम कर दिया जो फाल्गुनी एक दौर में पूरे देश में मशहूर थी वो सिर्फ अब गुजरात तक सिमट कर रह गई हैं 55 साल की इस गायिका ने जहां से अपना काम शुरू किया था वो फिर से वहीं पहुंच गई हैं और अब सिर्फ नवरात्रों में और डांडिया नाइट में ही गीत गाती हैं नवरात्रों में उनकी डिमांड बहुत रहती है और इन नौ दिनों में वो खूब कमाई करती हैं लेकिन बाकी दिनों में वो गायब भी रहती हैं उन्होंने अब तक शादी भी नहीं कि है.
काश फालगुनी ने समय रहते उन अफसरों को नहीं गवाया होता तो आज उनकी आवाज भी बॉलीवुड के गानों पर गूंज रही होती आज उन्हें भी बॉलीवुड के दूसरे सिंगर की तरह काम इज्जत और पैसा सब कुछ मिल रहा होता क्योंकि उनकी आवाज इतनी मीठी थी कि हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था लेकिन फालगुनी पाठक उस समय इन अवसरों को ठीक से भुना नहीं पाई और गवाते चली गई उस समय फाल्गुनी को पैसा इज्जत सब कुछ मिल रहा था इसीलिए उन्होंने बॉलीवुड को सीरियसली नहीं लिया और अब बॉलीवुड उन्हें सीरियसली नहीं लेता है अगर फाल्गुनी ने ये एक गलती ना की होती तो आज शायद मंजर कुछ और होता खैर जो भी हो हम फाल्गुनी के अच्छे भविष्य की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि व फिर से कुछ ऐसी एल्बम लेकर आएंगे जो सभी को दीवाना बना देंगी.