किसी भी इंटरनेशनल मंच पर कोई शख्स अपने स्टेट को रिप्रेजेंट करता है या फिर अपनी कंट्री को। इंडिया जब कहीं बाहर खेलती है तो सबकी जर्सी पर इंडिया लिखा होता है या यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान। इंडिया में कई बार लोगों को छिपे मैसेज और उनके असली मायने तब समझ आते हैं जब चिड़िया खेत चुग कर चली जाती है। दिलजीत दोसाज ने आज मैडला में डेब्यू किया। उनका लुक पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह से प्रेरित था.
मैडगाला में दिलजीत अपने इस लुक से पूरी तरह छा गए। नेपाली अमेरिकी डिजाइनर प्रबल गुर के स्टाइल किए गए इस आउटफिट ने कल्चर रूट्स को सबसे स्टाइलिश तरीके से श्रद्धांजलि दी। आइवरी और गोल्ड के आउटफिट में एक अट्रैक्टिव सिलहहुड, एक कसी हुई कमर, एक ड्रामेटिक कैप और टेक्सचर का परफेक्ट ब्लेंड इस लुक में दिखा। दिलजीत की पगड़ी को गहनों से सजाया गया था.
और एक मैचिंग महाराज हार ने उनके शाही लुक को कंप्लीट किया। लेकिन दिलजीत के ड्रेस के पीछे जो नक्शा बना वह सिर्फ पंजाब का था। दिलजीत पूरे भारत को रिप्रेजेंट कर रहे थे ना कि सिर्फ अकेले पंजाब को। पंजाब के इस नक्शे में गुरुमुखी मंत्र जैसे एक ओंकार, सतनाम, कर्ता पुरक, निर्भाव, निर्वैर, अकाल मूरत, अंजुनी, सैमंग, गुरु प्रसाद लिखे थे। दिलजीत ने मेडगाला में खींची गई कुछ पिक्चर्स भी पोस्ट की। यहां भी उन्होंने खुद को भारतीय कहने की जगह पंजाबी लिखा.
उन्होंने लिखा मैं हूं पंजाबी हैशटग मैटला इंस्पायर्ड बाय द थीम ऑफ ब्लैक डैडिज्म ब्रिंग माय टर्बन माय कल्चर माय मदर टंग पंजाबी टू द मैटगाला बेहतर होता है कि दिलजीत पंजाबी के साथ-साथ खुद को भारतीय कहने से भी नहीं कतराते। दिलजीत के कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ रिश्तों की बातें भी सामने आई थी। जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान के मुखर समर्थक रहे हैं.
खालिस्तान के लिए सबसे ज्यादा समर्थित रैलियां कनाडा में ही होती हैं। कंगना रानौत ने दिलजीत पर खालिस्तानी होने का आरोप भी लगाया था। अगर दिलजीत की जगह कोई दूसरा स्टार होता तो वह अपने पीछे मुंबई या महाराष्ट्र का नक्शा नहीं लगाता। वो नक्शा भारत का लगाता। बाकी आप खुद समझदार हैं। वेल आपका क्या कहना है इस पर? अपनी राय हमें कमेंट में दीजिए.