नागेंद्र वर्मा जी महाराज जी आपके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम महाराज जी मेरा एक संशय महाराज जी हम रुपया बास पर देते हैं यही कम से हमारा परिवार का खर्च और बाकी सब चला है लेकिन अब मां में आपका सत्संग सुन के थोड़ी विच्चलाता ए रही है की बास का पैसा कहानी हमारे लिए पाप का साधन तो नहीं बन रहा हमारी बास से तो लाखों लोगों का जीवन चला है चला है पराया जो देखने में आता है की लाखों लोग करोड़ लोग बैंक के बास से अपना जीवन निर्वाह करते होंगे की जिससे चल रहा है तो यह जो बास की निंदा की गई है.
वह पूर्व में जैसे जमींदार लोग होते थे ना ₹500 दिए 500 का वह बास वापस किया जाता था उसके लिए है जैसे बैंक से भी आप कर्ज लो तो वहां भी तो आपको उसमें प्रतिशत में होता ना कितने प्रश्न दो तो इतने प्रतिशत आपको बास मिलेगा ऐसा होता ना अगर इस तरह का है आपका शोषण का भाव नहीं है जो सरकारी विधानसभा चला है मुझे लगता है की बैंक से ले चाहे आपसे करते हैं उनको देखकर मेरे मां में ऐसा भाव ए गया हमारा जो उद्देश्य था खाने का हमने गांव में देखा है की ज्यादा बड़ी रकम तो किसान गरीब आदमी ले नहीं सकता.
2004 हजार अभी की बातें पहले की का रहा हूं 2004 हजार तो उसे समय जैसे था को ₹100 में ₹10 बास लगाते महीने में ₹100 में ₹10 और किसान आदमी हूं तो फसल आएगी अगर फसल नष्ट हो गई तो अब कहां से बड़ा डाबी तो आप लोग शायद उसे कष्ट को नहीं जानते होंगे जो गरीब है किसान है और उन्हें से उनका उधर पोषण होता है अब वह कुछ पैसे बास के दे पर पूरे तो दे नहीं का रहे तो कितनी बार वो ₹500 पहुंच ₹2000 पहुंच दिए थोड़ा-थोड़ा करके लेकिन वो बास ही नहीं मूल तो वैसे ही जमा है.
फिर उनको उनकी खेती अडॉप्ट उनको कष्ट देते वो महान दुखता है एक नियम है सरकारी हिसाब से जैसे तो आप जो प्रतिशत खली बात है इतने प्रतिशत बास इसका है जहां तक हो सके सौहार्द रख करके उसको उसका सेवा कभी कम बन गया आपका भी कम चल रहा है शोषण मृत्यु अगर है तो फिर वह हानिकारक रहेगी अब जैसे किसी ने लिया था और दूसरे दिन उसका कम हुआ नहीं इस को वापस करने गए हैं.
तो उसने पूरा हिसाब लगाकर कहा जाए आज जो एक महीने बाद दो सुबह पड़ेगा ही अब उसको जो दो ₹300 बास के तो बहुत भारी पढ़ते थे और विचार होगा बेचेगा तो पैसे लिए थे कम नहीं हुआ वापस करने गया अब बास के पैसे उसके पास कहां तुरंत अब नहीं है ना उसको कई महीने लगेंगे फसल आने पे अब वो उनका हिसाब बढ़िया बन गया तो फिर यह हानिकारक होता है अब तुरंत जैसे समझ में ए रहा है ना गांव का है हमारे आबू का आदमी है.
और उसका जी कम के लिए था नहीं हुआ वापस कर रहा है तो इस पर फिर लोग नहीं करना चाहिए इस हां ठीक है कोई बात नहीं है महीना दो महीना हो गया उसका ब्याज चित ले लीजिए अगर कोई ऐसा लगता है की बास नहीं दे का रहा है तो भाई थोड़े दिन के लिए आप हमारा मूल वापस कर दो क्षमा करते हैं प्यार ऐसा भी व्यवहार कर लेना चाहिए उससे भगवान देख रहे हैं ना उसे मंगल शोषण वृत्ति का निषेध किया गया है.