अहमदाबाद में एयरपोर्ट के रास्ते में 333 अवरोधक, 37 साल पहले भी हुआ था हादसा..

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद अब ऐसी कई सारी बातों पर विचार किया जा रहा है जिससे एयरपोर्ट पर जब टेक ऑफ करे या लैंड करे विमान तो सुरक्षा से संबंधित कोई भी कोताही ना हो। मेरे साथ में विश्वास भांबूरकर जी हैं जो कि सोशल एक्टिविस्ट हैं और सारे कई सारे एयरपोर्ट के मामलों पर इन्होंने बहुत सारी जानकारियां इकट्ठा की हैं आरटीआई के भी जरिए कुछ आधिकारिक वेबसाइट के जरिए। सबसे पहले हम बात करेंगे अहमदाबाद एयरपोर्ट की क्योंकि अहमदाबाद एयरपोर्ट पर यह बहुत ही दर्दनाक और बड़ा हादसा हुआ है। विश्वास जी अहमदाबाद एयरपोर्ट पर किस तरीके के नियम कानूनों को दरकिनार किया गया और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया। बेसिकली हाइट वायलेशंस बहुत सारी है,

अब जो हादसा हुआ उसे अगर आप देखने जाए तो जो सिविल हॉस्पिटल कंपाउंड में जहां पे प्लेन लैंड हुआ हम उसमें भी 7 मीटर की हाइट वायलेशन थी। मतलब जो हॉस्पिटल की बिल्डिंग होनी चाहिए थी उससे वो 7 मीटर ज्यादा ऊंची बनी गई। हम और उसके अलावा लगभग 333 ऐसे ऑब्सकल्स एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के वेबसाइट पे उन्होंने रखे थे जो मैंने डाउनलोड करके रखे थे वो मैं भेज दूंगा आपको लेकिन अब वो सारे सारे एयरपोर्ट्स की ये जो ऑब्सकल्स की जो जानकारी है वो सारी हटा दी गई है। अच्छा पूरी एयरपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से जो आधिकारिक वेबसाइट है,

आप कह रहे हैं कि अवरोधक जो एयरपोर्ट के आसपास हैं वो चाहे इमारतें हो या पेड़ हो या बिजली के खंभे हो या वाटर टंकी हो सबको हटा दिया गया है। सबको हटा हटा दिया गया है। आज आप अगर एयरपोर्ट अथॉरिटी की साइट पर जाएंगे तो आपको कहीं भी यह लिंक नहीं मिलेगी जहां से आप डाउनलोड कर सके या देख भी सके कि कौन-कौन से ऑब्सकल्स या अवरोधक है एयरपोर्ट के आसपास और ये पहले हिंदुस्तान के हर एक एयरपोर्ट के बारे में ये जानकारी थी जो आज नहीं है। अच्छा आपको क्या लगता है ऐसा क्यों किया गया होगा? अब क्यों किया गया होगा?,

यह तो एक चर्चा का विषय हो सकता है कि भाई हम जैसे लोग उसे डाउनलोड कर ले। आप जैसे लोगों को दे दिए। मीडिया की तरफ से वो उस बात फैले कि भाई किस तरह की लापरवाही बरती जा रही है। अगर अहमदाबाद जैसे शहर में जहां पे इतने लैंडिंग और टेक ऑफ होते हैं वहां पे अगर 333 ऑब्सकल्स अगर हैं हम तो सिचुएशन बहुत खराब है। अच्छा। अच्छा एक चीज और बताइए। अहमदाबाद में आज से 37 साल पहले भी विमान दुर्घटना हुआ था। वो कम विजिबिलिटी के वजह वजह से दुर्घटना हुआ था। उसके बाद क्या कोई प्रशासन ने सबक लिया? उसके बाद काफी चेंजेस आए,

लोकलाइजर एंटीना हो या फिर जो लाइटिंग सिस्टम वगैरह जो उनके है वो सारे कर दिए गए थे। लेकिन बहुत दुख की बात है कि जो बिल्डिंग ऑब्सकल्स जो है उस पे किसी का ध्यान नहीं आइदर ध्यान नहीं पड़ा या फिर देख करके उसे छोड़ अनदेखा कर दिया गया। अच्छा अब यह बताइए कि अभी एक कानून में बदलाव कर रही है भारत सरकार और इसमें ये कहा जा रहा है कि इस तरीके के जो अवरोधक हैं एयरपोर्ट के आसपास उनको 60 दिन के भीतर एक नोटिस देकर हटा सकती है प्रशासन। जी। उससे क्या लगता है आपको? क्या हटेगा ये सारी चीजें? देखिए ये पहले भी ये कानून था,

हम अब उसे चेंज करके सिर्फ 60 दिनों की टाइम लिमिट दी गई है। हम पर अगर पहले कानून था हम तो उसका पालन क्यों नहीं हुआ? हम ये सवाल एक पूछा जाना चाहिए। हम और अगर वो कानून था और सिर्फ और सिर्फ टाइम लिमिट नहीं थी। इसीलिए अगर हुआ नहीं है तो फिर शायद ये 60 दिन का जो टाइम लिमिट लाया गया है उससे कुछ फर्क पड़ेगा। अच्छा। अच्छा एक और सवाल उठता है कि केवल अहमदाबाद एयरपोर्ट ही नहीं तमाम सारे एयरपोर्ट में बहुत सारे अवरोधकों की सूची है। जी तो वो किस तरीके से आप बताना चाहेंगे कि और भी कई सारे एयरपोर्ट बरोड़ा है। बरोड़ा में 2 साल पहले तक 19 इमारतें थी जो बिल्कुल एयरपोर्ट के बगल में एयर स्ट्रिप के बगल में बनी हुई थी जो अवरोधक है,

हम्। आज वह बढ़के शायद लगभग मेरा जो अंदाज़ है वह 10010 हो गई होगी। हम सूरत में भी ऑन रिकॉर्ड अब मैंने जो पीआईएल की है उसमें ऑन रिकॉर्ड आ जो बिल्डिंग कॉम्प्लेक्सेस आते हैं वो लगभग 42 जितने आते हैं टोटल 195 200 बिल्डिंग्स जितनी है। हम पर इसके अलावा हम जो एक मेजर फ्लॉ है जो हम लोग जो एयरपोर्ट अथॉरिटी जो सर्वे करती है वो सिर्फ फनेल का सर्वे करती है। हम्। फनेल जो होता है जो एयर स्ट्रिप होती है आपकी वहां से एयरपोर्ट टेक ऑफ होता है तो एक ऐसा कोन जैसा एक यह बनता है। वहां पे सर्वे करती है,

एक्चुअल सर्वे करना चाहिए वो इनर हॉरिजॉन्टल सरफेससेस का। यानी कि एयरपोर्ट एयर सॉरी रनवे के जो आसपास जो 4 कि.मी. का दायरा है वहां पे भी कंस्ट्रक्शन बहुत रेगुलराइज्ड होता है। हम आप कितनी हाइट रख सकते हैं, कितनी नहीं। वहां पे कानून बहुत पक्के होते हैं। हम पर उनका सर्वे किया ही नहीं जाता है। तो जैसे सूरत की बात है अगर इनर हॉरिजॉन्टल सरफेस सरफेससेस का अगर सर्वे करवा दिया जाए तो लगभग 1000 1500 बिल्डिंग आ जाएगी। अच्छा एक बस आखिरी सवाल अभी जो यह अवरोधकों की सूची बनती है इसमें कोई एड्रेस नहीं दिया जाता है। जी अहमदाबाद की अगर हम खासतौर पर बात करें तो अहमदाबाद में कौन सी बिल्डिंग को आप लोगों ने उसमें ट्रेस आउट किया है कि यह जो दिया है जो Google एड्रेस जो दिया गया है उस कौन-कौन सी बिल्डिंग है?,

अब देखिए इसमें कैसे होता है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी या कोई भी एिएशन से रिलेटेड होता है वो लोग कभी भी आपके एड्रेस पे नहीं जाते हैं। हम वो केवल आपके ज्योग्राफिकल कोऑर्डिनेट्स पे जाते हैं। हम लैटीट्यूड लोंगिट्यूड पे हम अब इसका जरा अगर विस्तार से बताऊं तो इसका कारण ये है आप अगर जैसे मान लीजिए गुजरात हाई कोर्ट जो है वो पहले हुआ करती थी इनकम टैक्स के पास। आज गुजरात हाई कोर्ट है 16 में। हम एड्रेस चेंज हो गया लेकिन हाई कोर्ट वही रही। हम्। पर आप जब ज्योग्राफिकल कोऑर्डिनेट्स देते हैं लैटीट्यूड लोंगिट्यूड हम तो वह कभी भी चेंज नहीं होता है। अच्छा तो इस वजह से एिएशन में सिर्फ लैटीट्यूड और लोंगिट्यूड यूज़ किया जाता है,

हम तो जब एयरपोर्ट अथॉरिटी आपको परमिशन देती है या कोई भी आपके एड्रेस से रिलेटेड होता है तो वो लैटीट्यूड और लोंगिट्यूड के हिसाब से देती है। उसी तरह एनओसी जब दी जाती है बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के लिए तो वो लोग लैटीट्यूड और लॉन्गिट्यूड के हिसाब से एनओसी देते हैं। हम लेकिन इसमें बात यह होती है कि भ मेरा अब प्लॉट है। मैं बिल्डर हूं। मेरा प्लॉट है बिल्कुल एयरपोर्ट के बगल में। हम वहां पे तो मुझे परमिशन मिलेगी नहीं। मैं एड्रेस वहां का देता हूं। लेकिन लैटीट्यूड लोंगिट्यूड मैं बिल्कुल मैप फोर्च करके मैं यह बताता हूं कि ये जो प्लॉट है ये वहां से 6 7 8 कि.मी. दूर है। हम या जितनी भी मुझे हाइट चाहिए 1-2 कि.मी. हो सकता है। 2-5 कि.मी. मैं उस वहां की हाइट ले लेता हूं,

अच्छा। हम तो वहां पे मुझे ज्यादा हाइट मिल जाती है। फिर मैं जाता हूं लोकल अथॉरिटीज के पास मुनिसिपल कॉरपोरेशन जो भी है हम उनको बताता हूं कि भ देखिए इन्होंने एनओसी दिया है इस पे एड्रेस ये दिया है हम इनकी एनओसी है हम तो आप हमें परमिशन दे दीजिए हम अब एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी पता है कि जो लैटीट्यूड लोंगिट्यूड दिया गया है और जो एड्रेस दिया गया है वो मैच नहीं करता है। मगर फिर भी वो एनओसी दे देते हैं लैटीट्यूड लोंगिट्यूड के हिसाब से। हम्। फिर जब लोकल अथॉरिटीज़ के पास आप बिल्डिंग परमिशन मांगने जाते हो,

वह लोग लैटीट्यूड लोंगिट्यूड को इग्नोर कर देते हैं। हम वह कहते हैं हमें क्या पता भाई यह क्या लिखा है। हम हम तो एड्रेस पे जाएंगे। एड्रेस पे आपको नो ऑब्जेक्शन मिला हुआ है। इतनी हाइट मिली हुई है। बांध लीजिए तो वो परमिशन मिल जाती है। तो वहां पे जाके अब एयरपोर्ट के बगल में आपने 10 मंजिला बिल्डिंग बना दी। वहां पे आपको मिलनी चाहिए दो मंजिल बिल्डिंग की हाइट। एक एग्जांपल दे रहा हूं मैं। हम्म। अब 10 मंजिल बिल्डिंग बना दी आपने। फिर आपने कहा नहीं मुझे पेंट हाउस भी चाहिए। उसके ऊपर एक टेरेस भी चाहिए। तो आपने और दो फ्लोर इनक्रीस कर दिए। एयरपोर्ट अथॉरिटी जब सर्वे करेगी तब वो,

चिट्ठी लेके जाती है। वो कहती है अरे भाई आपको तो हमने 50 मीटर की हाइट दी थी, 30 मीटर की हाइट दी थी जो भी था। हम आपने उसके ऊपर और 10 मीटर खींच लिया। हम्। लेकिन अब इसमें इन्वेस्टिगेशन की बात आती है कि भई आपको जो हाइट मिली थी, वह तो किसी और जगह पे दूर पे बिल्डिंग थी। करके आपने यहां बनवा लिया। जी। तो आपको एक्चुअली मिलनी चाहिए थी 3 मीटर की हाइट। लेकिन आपको मिल गई 30 मीटर की हाइट। हम और फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी कह रही है कि भ आपका 10 मीटर का ही वायलेशन है। हम अच्छा कौन-कौन सी बिल्डिंग का जिक्र करना चाहेंगे जो लोगों को पता है कि अहमदाबाद,

एयरपोर्ट के आसपास की ये बिल्डिंग हैं जो आपने उसमें सर्च किया। अब जैसे सिविल हॉस्पिटल की कई सारी बिल्डिंग्स हैं। एक टॉरेंट पावर का जो पावर हाउस है उसकी लाइट एक ऑब्सकल है। कई खंबा लगा हुआ है। नहीं टॉरेंट पावर का जो प्लांट है उसके ऊपर एक लाइट है। अच्छा मतलब इतना एक्यूरेट होता है वो लाइट कितनी होगी आपकी? 1 फुट 1ढ़ फुट की लेकिन वो भी ऑब्सकल में आती है। इतना एक्यूरेट एयरपोर्ट अथॉरिटी का सर्वे होता है। अच्छा। हम अब वो है कई वाटर वाटर टैंक्स हैं हम जो पब्लिक वाटर टैंक्स होते हैं वो हैं कई सारे हाई टेंशन वायर्स हैं,

जो कि काफी डेडली हो सकते हैं अगर कुछ हुआ तो कई सारे सेलफोन टॉवर्स हैं कई बिल्डिंग के ऊपर जो लाइटनिंग अरेस्टर्स आते हैं बिजली गिरे तो बिल्डिंग को नुकसान ना हो वो हैं अच्छा पेड़ पौधे तो हैं ही तो ये आप देखिए कि अह अ ये सोशल एक्टिविस्ट हैं। कई सारे एयरपोर्ट की जानकारियां इन्होंने निकाली हैं और उसके बाद में हाई कोर्ट भी गए हुए हैं,

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर हम हर दुर्घटना के बाद ही क्यों जागते हैं? दुर्घटना से पहले अगर यह सारी चीजों को आप दुरुस्त करें तो हो सकता है कि इस तरीके के हादसों को रोका जा सकता है, या नहीं भी रोका जा सकता है तो कम से कम जो हताहतों की संख्या है वह जरूर कम की जा सकती है.

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