मैं इस वक्त मेघानी कॉलोनी में हूं और यह कॉलोनी इसलिए बहुत अहम हो जाती है क्योंकि जब यह विमान का हादसा हुआ तो सबसे पहले मेघानी कॉलोनी के लोग और यह इससे सटा हुआ जो आर्मी का कैंप है यही दो स्थानीय लोग और आर्मी के साथ में मिलकर सबसे पहले रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। हमारे साथ में रेखा जी हैं और मोहन जी हैं। मोहन जी वह शख्स हैं जिन्होंने पांच एमबीबीएस के छात्रों को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया,
रेखा जी यहां पर इनका घर है। आपने रेखा जी क्या देखा उस वक्त? सर उस वक्त मैं घर में थी। मैंने देखा कि सर पूरा घर पहले तो एकदम तेज से आवाज आई। मतलब क्रैश हो रहा था इसलिए बहुत तेज आवाज आया। तो फिर पहले तो समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। पहले ऐसा लगा कि जैसे कि भूकंप आया हो। फिर जैसे ही हम बाहर निकले वैसे ही बम ब्लास्ट की आवाज आई। मतलब प्लेन ब्लास्ट हुआ होगा,
फिर ऊंची ऊंची धुआएं आगों की लपटें बहुत ऊंची-ऊंची उड़ रही थी। फिर पहले हमने तो सोचा कि पाकिस्तानियों ने अटैक किया होगा। फिर बाद में मतलब जब देखने गए तब पता चला कि नहीं यह पैसेंजर प्लेन है और क्रैश हुआ। घर भी ऐसे पूरा वाइब्रेंट हो रहा था। मानो कि भूकंप और चीजें हिल रही है। टेबल हिल रहा है। दरवाजा खिड़कियां सब हिल रही थी उस वक्त। अच्छा। तो पहले समझ में नहीं आया कि ये मतलब पाकिस्तानियों ने ये किया या क्रैश हुआ है। फिर जब देखने गए घर से भी सब देखने गए। फिर पता चला कि पैसेंजर प्लेन क्रैश हुआ है,
अगर ये 200 मीटर पहले हो जाता तो पहले हो जाता तो शायद हम लोग बचते भी नहीं क्योंकि जो उनका जो प्लेन का जो जो टायर है ना वो एग्जैक्ट हमारे छत को टच करते करते निकला है। और जो घर के आगे पेड़ है उसको विंग्स जो जो वो है ना उसके जो पंखे वो उसको काटते हुए गया है। तो वो पायलट की मेहरबानी उतना कि उन्होंने इस एरिया में नहीं तो आज हम भी नहीं बचते ऐसा संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती थी,
मतलब आम जनता और भी ज्यादा मर सकते थे अगर इतने एरिया में उन्होंने अगर लैंडिंग की होती तो मोहन जी हैं जिन्होंने पांच छात्रों को तुरंत निकाला वहां से मोहन जी जैसे धमाका हुआ आपका घर 500 मीटर दूरी पर है कैसे फिर आप सर मैं खाना खा रहा था मैंने भी खाने का एक निवाला ही खाया था तो मैंने देखा कि मेरे घर का जो दरवाजा जोर से पटका तो मुझे मुझे क्या लगा कि कहीं भूकंप तो नहीं या आंधी आई तो मैंने मैंने इतनी जोर से हवा आ रही थी,
चल रहा था तो जैसे मैं बाहर आके देखा तो पब्लिक चिल्ला रही थी बोले प्लेन गिरा प्लेन मैं फिर दौड़ के गया तो देख मैंने सामने देखा धुआधुआ था चारों तरफ आग लगी हुई थी मैं फिर मैं वहां मैस में गया देखा बच्चे चिल्ला रहे थे वहां पर बोले बचाओ बचाओ और वो फंस गए थे बेचारे अंदर मलवे में दबे हुए थे फिर हम लोगों ने कमांडो थे आर्मी के वो आर्मी वाले भी थे और मेरे कुछ फ्रेंड भी थे हम लोगों ने सब ने मिलकर उन बच्चों बच्चों को उस मलवे से निकाला और उनकी हालत बहुत बुरी थी। कोई का कोई के माथे में लगा तो कोई पांव चलने की स्थिति थी नहीं,
फिर हम लोगों ने उनको बेड में ले जाकर नीचे जाकर उनको एंबुलेंस में बिठा दिया। और अगर 100 200 मीटर पहले ये हादसा होता तो और ज्यादा बढ़िया हमने वो तो पायलट का शुक्रिया देना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने प्लेन थोड़ा आगे ले लिया। अगर बाय द वे अगर यहां गिरा होता तो लाखों पब्लिक मरती। तो यह आप देख सकते हैं यह मेघानी कॉलोनी है जिसके लोग अब पायलट का शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि उन्होंने बिल्कुल वीरान जगह पर प्लेन को ले जाने की कोशिश की लेकिन प्लेन ऊंचाई पर उड़ नहीं पाया। इसके वजह से इस तरीके का जो हादसा है वो हो गया। एक बहुत ही विभत्स हादसा है। मृतकों की तादाद भी.