अभिनेता सोनू सूद पहुंचे पंजाब, बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद का भरोसा..

कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी इलाके में सोनू सूद पहुंचे हुए हैं यहां के बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए और आप देख सकते हैं जहां तक आपकी नजर जाएगी वहां तक सिर्फ आपको पानी ही पानी नजर आएगा और इसीलिए सोनू सूद यहां पर पहुंचे हुए हैं ताकि जो बाढ़ पीड़ित हैं उनसे बात कर सके और उन्हें जो भी संभव मदद है वह कर सके। अपनी बहन के साथ यहां पर आए हुए हैं और आप देख सकते हैं कि उनके साथ काफी लोग भी यहां पर मौजूद हैं। लगातार वह बाढ़ पीड़ितों से मिल रहे हैं। हर संभव मदद का आश्वासन दे रहे हैं,

हालांकि जिस तरीके से उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से बातचीत की उससे यह लग रहा था कि जो बाढ़ पीड़ित हैं उन्हें भी काफी ज्यादा राहत मिल रही थी। सोनू सूद जी जिस तरीके से आप बाढ़ पीड़ितों से मिलने आए हैं। कड़ी धूप है। लगातार बारिश हो रही थी। कभी धूप निकलती है। कभी बारिश होती है। मौसम भी आग मिचोली खेल रहा है,

और जिस तरीके से आपदा आई हुई है पूरे पंजाब में कहा जाए एक तरीके से और खासतौर से कपूरथला में जिस जगह आप मौजूद हैं। क्या कहेंगे जो बाढ़ पीड़ितों से आपकी बात हुई, क्या कुछ कहा? क्या दर्द उन्होंने बयां किया आपसे? देखिए मुझे लग रहा है कि यह एक ऐसी समस्या है जो बहुत समय से चलती आई है। हमें आज पता चला है क्योंकि हम यहां पर आए हैं। पर ये परिवार 23 में भी इन्होंने देखा 1988 में भी देखा और उससे पहले भी देखते आए हैं,

सो मुझे लगता है इसका हल ढूंढना बड़ा जरूरी है। हम राहत सामग्री पहुंचा देते हैं। खड़े हो जाते हैं। वापस भी आएंगे इनके लिए। लेकिन ये जो परिवार वहां पे रहते हैं इनका एक परमानेंट हल ढूंढना बहुत जरूरी है ताकि ये ना हो और वो सरकार के थ्रू हो, संस्थाओं के थ्रू हो, इंडिविजुअली हम लोग करें लेकिन हल तो ढूंढना है बस आज उसी के लिए इनके साथ खड़े हुए हैं यहां पे। तमाम गांव बाढ़ की चपेट में हैं। करीब 20 गांव ऐसे हैं जहां पर आप मौजूद हैं,

वह पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वो बह गए हैं। मौत हो चुकी है। कई लोग बेघर हो चुके हैं। जिस तरीके की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। वो बेहद भयावह हैं। बिल्कुल मैं तभी इसलिए लोकल जो गांव वाले हैं उनसे समझना जरूरी है कि किसी को क्या जरूरत है। अगर किसी की भैंस मर गई है तो हम लोग कोशिश करेंगे कि उस परिवार को कुछ भैंस दी जाए ताकि उसकी रोजमर्रा की जिंदगी चलती रहे,

अगर उन्हें किसी के घर टूटे हैं या छतें टूटी हैं उनके अंदर कैसे रिपेयर करवा सकते हैं? क्या किसको खाना दे सकते हैं? क्या किसी को दवाइयां ऐसी दे सकते हैं? क्योंकि कई बार चीजें तो लोग बहुत भेज देते हैं। लेकिन जो चीजें एक्चुअल चाहिए रहती हैं वो नहीं पहुंचती हैं। तो उसके लिए भी बहुत पहुंचना जरूरी है। मुझे याद है कि मैं अभी जस्ट आज मुंबई से पहुंचा हूं। मेरी सिस्टर मालविका पिछले कई दिनों से इन्हीं के साथ घूम रही है,

और मैं इनसे भी यही पूछ रहा था कि मुझे बताएं कि कौन-कौन सी चीजें हैं और लिस्टें मिली हैं और कोशिश करेंगे और इनसे भी लिस्टें लेंगे हम लोग कि क्या-क्या चीजें हमें आपको चाहिए जो हम आपको पहुंचा सकें। लेकिन स्थिति यह है कि अगर गांव के लोगों को कुछ भी चाहिए तो वो कश्तियों और नाव के सहारे ही बाहर आते हैं और फिर सामान लेकर के अंदर जाते हैं घर के लिए। तो कहीं ना कहीं ये जो गैप है,

जो कम्युनिकेशन है वो पूरी तरह से टूट गया है। सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं। खेत खालिहान झील बन गए हैं। जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं उससे उम्मीद लग रही है कि अभी फिलहाल यह जो प्रलय है वह टलने वाली नजर नहीं आ रही है कि दो-चार दिनों में पानी खाली हो जाएगा। देखिए जज्बा कायम रहना चाहिए। बात दो-चार दिन की नहीं है। मैं जैसे बोला ये परिवार तो कई सालों से जूझते आए हैं। लेकिन जब जज्बा आपका कायम रहता है तो फिर कितनी भी झील हो, कितने भी दरिया हो उसको लांघने में पंजाबी पीछे नहीं हटते और हमेशा लांग ही जाते हैं,

एक आखिरी सवाल सोनू सूद की तरफ से किस तरीके की राहत सामग्री दी जा रही है और क्या भरोसा दिया जा रहा है पीड़ितों को? बस मैं यही कहना चाहूंगा सोनू सूद को आप सिर्फ आवाज दीजिए। क्या चाहिए आपको? मैं आई विल मेक श्योर कि वो आप तक पहुंचे। मुझे सिस्टम में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आप बस मैं मुझे हाथ थामना आता है। आपके साथ चलना आता है। वही मैं भाई से भी बोला था कि आप मुझे बताएं कि आपको क्या चाहिए। हम वो सब पहुंचाएंगे। जो जो हमसे बन पाया वो लेके भी आए हैं और जो नहीं ले आ पाए और जो चाहिए रहेगा हम कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द उन तक पहुंचे,

बहन भी आपके साथ मौजूद हैं। लगातार आप इस इलाके को देख रही हैं, जिस तरीके की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वह बेहद भयावह हैं। ऐसी कल्पना किसी ने नहीं की होगी कि पंजाब में इस तरीके की त्रासदी देखने को मिलेगी। आपने लोगों से बात की। क्या कुछ कहा लोगों ने? क्योंकि दर्द तो बहुत है। वो दर्द कम नहीं किया जा सकता लेकिन बांटा जा सकता है। बिल्कुल सही बात है। जो दर्द वो लोग फेस कर रहे हैं,

मुझे लगता है कि वो अब लोग सोच भी नहीं सकते क्योंकि जब सिर पे जो छत है वो ही नहीं रही। अह जो उनके ड्रीम्स हैं, वह टूट जाते हैं। अह बहुत मुश्किल समय चल रहा है पंजाब के लिए। लेकिन कहते हैं कि पंजाबी अह एकजुट होकर सबकी मदद कर रहे हैं। आप देख सकते हैं बहुत सारी एनजीओस आई हैं,

मेरा भाई बॉम्बे से आया है क्योंकि पंजाब का बेटा है। उसका खुद वहां दिल जो धड़कता है पंजाब के लिए वो भी आज इसीलिए उन परिवारों से मिलने आया है जो जरूरतमंद है और उनके बारे में पूछने आए हैं कि उनको क्या जरूरत की चीजें चाहिए। बिल्कुल। पंजाब के जितने भी कलाकार हैं, वह यही कह रहे हैं कि इस आपदा की घड़ी में.

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