एयर इंडिया प्लेन हादसे में ऐसे बची ऐश्वर्या, रूम में लगी आग से निकली बेटी ने सुनाई दर्दनाक कहानी..

12 जून 2025 दोपहर 1:38 गुजरात के आसमान में उड़ रहा था Air इंडिया का ड्रीमलाइनर AI171 लक्ष्य था लंदन लेकिन किस्मत में लिखी थी बर्बादी और आग का समंदर। सिर्फ 30 सेकंड और वो जहाज गिरा डीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर। 241 लोगों की मौत और जमीन पर तबाही। लेकिन उसी मलबे में थी एक कहानी, एक चमत्कार, एक नाम, ऐश्वर्या तोशनीवाद। यह लड़की उसी हॉस्टल के पांचवें मंजिल पर सो रही थी। अचानक उसे तेज धमाका सुनाई दिया। आंख खुली तो कमरा धुएं से भर चुका था। हर सांस जहर बन चुकी थी और दरवाजे पर सिर्फ मौत थी,

लेकिन तभी ऐश्वर्या ने कुछ ऐसा किया जो उसे बना गया आजाद भारत की बहादुर बेटी। ऐश्वर्या ने अपनी सूझबूझ से अपनी मौत को मात दे दी। बहादुरी से यमदूत को परास्त कर दिया और जीत ली जिंदगी की जंग। ऐश्वर्या ने तुरंत दिमाग लगाया। कमरे में इधर-उधर देखा उसे दिखा एक कंबल। वहीं बना उसका कवच और हिम्मत बनी हथियार। उसी कंबल में खुद को उसने लपेटा और धुएं की उस भूल भुलैया में जिंदगी का रास्ता तलाश लिया। सांस लेने के लिए दरवाजे नहीं थे। हर सीढ़ी आग से घिरी थी। लेकिन ऐश्वर्या हिम्मत के साथ उतरी। पांच मंजिल नीचे। उसके हाथ जले,

चेहरा झुलसा लेकिन उसका जज्बा ना डिगा ना हिला। नीचे आकर सबसे पहले उसने फोन किया अपने पिता को और रोते हुए बोली, पापा मैं बच गई। उसके पापा उस वक्त अकोला में दुर्गा चौक में अपनी दुकान पर बैठे थे। बेटी की कांपती आवाज सुनते ही अमोल का दिल बैठ गया था। लेकिन बेटी की आवाज सुनकर अमोल तोशनीवाल के जान में जान आ गई थी। उनकी आंखों में आंसू थे खुशी के आंसू। जो हादसा हुआ ये 1:38 पर हुआ है। और ऐश्वर्या का कॉल मेरे को हॉस्पिटल पहुंचने के बाद में आया 2:134 पर। तभी हमारे को पता चला कि यह सब हुआ है,

उसके बाद में न्यूज़ चैनल और देखें तो वो जो हादसा हुआ वह टाइम पर ऐश्वर्या जो है ये वहां पर डीएम ओकोपैथोलॉजी चल रहा है सेकंड ईयर में। तो इसका वही हॉस्टल था जहां पर ये हादसा हुआ। ये चार बिल्डिंग है आजू-बाजू में जहां पर यह प्लेन क्रैश हुआ। तो ऐश्वर्या वो टाइम पर रेस्ट कर रही थी हॉस्टल पर ही फिफ्थ फ्लोर पर। तो हादसा हुआ जब वह अचानक एकदम उठी आवाज के वजह से और उसने गैलरी में जाकर देखा तो कुछ मतलब उसको समझ में नहीं आया कि आवाज काहे की है आजू-बाजू में बिल्डिंग पूरी मतलब दिख नहीं रही है,

ब्लैक क्लाउड्स एंड कुछ धुआ उसके रूम में आया तो उसने हाथों बंद करके अंदर रूम में आई और वापस फिर दरवाजे की तरफ जाके जैसे ही दरवाजा खोला तो आग की लपेटे में वो धुआ पूरा उसके रूम में भपके से एकदम अंदर घुस गया तो फिर उसको लगा कि अब कुछ तो गड़बड़ हुई हुई है। कोई आवाज कोई दिख नहीं रहा कुछ नहीं। उसको सतर्कता सूजी। भगवान ने उसको मतलब बुद्धि दी कि भाई जो ब्लैंकेट था उसने वो ब्लैंकेट खुद को वप करा चेहरे से लेकर नीचे तक के और बगैर कुछ देखे सोचे समझे जैसे ही मतलब उसको मालूम था रेगुलर स्टेप्स कहां पर है। दिख तो कुछ नहीं रहा था। वो उतरते हुए वैसे ही नीचे भागते दौड़ते आई। और उसमें से सेफली बाहर निकली,

वहां नीचे आने के बाद में भी सब गर्म था। नीचे पैर में चप्पल नहीं लेकिन वो उधर जो है कंपाउंड वाल की तरफ गई। कंपाउंड वाल 6 फुट के हाइट की उसके ऊपर तार फेंसिंग खुदी मारने की कोशिश करी दो-तीन बार लेकिन वो नाकामयाब रही। तीन बार गिरी। फिर वापस किसी ने चिल्लाए उधर से तो फिर वो जोर से हिम्मत लगा के तार को पकड़ी। ऊपर चढ़ी। तार में अटकी। लेकिन बाद में फिर सफलतापूर्वक वह दूसरी कॉर्नर में उसने छलांग लगा ली। और छलांग लगाने के बाद में उधर से एक कोई ऑटो आ रहा था। वो ऑटो में सीधा बैठ गई,

उसको बोले कि हॉस्पिटल लेकर के तो वो हॉस्पिटल पहुंच गई और ऐसे वो सेफली निकली है। काफी साथीदार डॉक्टर्स लोग अभी कह रहे उनके डीएनए टेस्ट चलेंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या हुआ करके। और इससे जब बात हुई फिर हमारे को थोड़ा ठीक लगा कि भ चलो ये सेफ है। तो हम अभी अब अहमदाबाद निकल रहे हैं। उसके दादा जिनका जन्मदिन मनाने के लिए वह हाल ही में अकोला गई थी। वे भी बोले भगवान का लाख-लाख शुक्र है। हमारी पोती जिंदा है। ऐश्वर्या तोशनीवाल अहमदाबाद के गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज में डीएम अंकोपैथोलॉजी की द्वितीय वर्ष की छात्रा है। ऐश्वर्या ने इस हादसे के बारे में बताया। मैं नींद में थी तभी एक तेज आवाज से मेरी आंख खुली,

कमरा धुएं से भर चुका था और बाहर से चीखपुकार की आवाजें आ रही थी। वह पल मेरी जिंदगी का सबसे डरावना अनुभव था। धुआं इतना घना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। लेकिन सवाल अभी भी बाकी है कि क्या यह सिर्फ एक हादसा था या कुछ और? जांच रिपोर्ट अभी आएगी और सच पता चलेगा। लेकिन इस घटना ने एक सबक दे दिया है कि जब चारों ओर मौत का साया हो तो जिंदा वही रह पाता है जो हिम्मत से हार नहीं मानता। ऐश्वर्या ने यह साबित कर दिखाया कि अगर हिम्मत और सूझबूझ से काम लिया जाए तो हर जंग जीती जा सकती है,

मौत को भी मात दी जा सकती है। यह बेटी आज हर किसी के लिए मिसाल बन गई है। यह बेटी आज हर किसी के लिए मिसाल बन गई है। वीडियो को शेयर कीजिए ताकि हर कोई जान सके कि हिम्मत और सूझबूझ से कैसे मौत को मात दी जा सकती है। ब्यूरो रिपोर्ट वीके न्यूज़। हां गुप्ता। हां। कैसी है बेटा? ठीक हूं अभी। हां ना हम भी अभी निकल रहे हैं। अच्छा हां सामान तो पूरा ले लिया जैसे भी सब समझ में आया वैसे ठीक है है कि नहीं फिर आने के बाद में देखते हैं अपन कैसे क्या है ना सिचुएशन के बारे में क्या अभी उधर क्या हालत मतलब बहुत ही ज्यादा ही सुनने में आ रहा सब नहीं है ही बेकारी हुआ है वो चार बिल्डिंग है लग के और एक पीछे एक बिल्डिंग थी जो बॉयज हॉस्टल की मेस थी,

हां हां तो वहां पे मेन प्लेन क्रशर वो तो दो मजली बिल्डिंग थी अच्छा तो प्लेन वो दो मजली बिल्डिंग पे ही क्रैश हुआ जो मेन फोटोज आ रहे है ना सारे कि बिल्डिंग के अंदर घुसा हुआ प्लेन है तो उसमें है तो इंजन सामने की तरफ रहता है ना जैसे प्लेन उड़ता है तो उसमें घुसा फिर उसके आगे के पार्ट्स बिल्डिंग नंबर वन पे आए मैं बिल्डिंग नंबर टू पे थ्री थ्री पे भी उड़ा और चार पे भी उड़ा तो चार पे भी गए उसके तो पहली आग लगी वन पे फोर पे और मैं थ्री में थी अच्छा तो वहां से फिर निकल के तेरी मेरी बिल्डिंग भी पूरी फायर हो गई थी ना? पूरी सब फुल फायर। मेरी बिल्डिंग के नीचे के जो ग्राउंड फ्लोर है उसके अंदर तो घुसा हुआ भी है प्लेन पूरा। नहीं नहीं। दिख रहा है अभी भी,

नहीं नहीं बहुत अपने को भगवान ने बचाया गजानन महाराज की कृपा है। ठीक है बेटा आते हैं हम फिर देखते हैं। जरा बेटा वहां का मंजर अस्पताल का कैसा है रे बेटा? अस्पताल अभी अभी तो ठीक है। मतलब अंकल जो भी था सब कल ही हुआ क्योंकि कल जितने भी बॉडीज थी सब निकल गई। हम्म। अभी तो ऐसा ही चल रहा है। हां। काफी लोगों की डेथ हुई है। अ आपको कहां पे कहां पे लगा बेटा? नहीं मुझे कुछ खास लगा नहीं। मैं जल्दी निकल गई थी वहां से उतर गई थी फटाक से हम ब्लैंकेट लेके तो थोड़ा बहुत ही है। इंजरीस छोटी-मोटी। अच्छा हॉस्टल के उस वक्त का मंजर कुछ आंखों देखी। कुछ बता सकती तू? नहीं बस मैंने तो जैसे ही देखा मुझे तो ऐसा लगा कि कुछ बारिश वगैरह हो रही है क्या? लेकिन जैसे ही बालकनी खोली तो बहुत सारा धुआं आया आंख पे तो समझ आया कि ये तो कुछ तो गड़बड़ है,

फिर मेन गेट से निकलने की कोशिश की तो एकदम काला धुआ मुंह के अंदर चला गया। तो सांस लेने नहीं बन रही थी। फिर अंदर आके मैंने ब्लैंकेट उठा के फोन उठा के बस हिम्मत करके पूरा पांच मंजिली नीचे उतर गई मैं सीढ़ियों से। तो नीचे ग्राउंड फ्लोर पे तो आग लगी हुई थी और बाकी भी कुछ दिख भी नहीं रहा था। तो फिर और फिर वो अपने वाल्स पे छलांग लगा के उधर निकले। वो दोस्त लोग वगैरह क्या कुछ पता चला कि किसको क्या इंजरी हुई? है कुछ लोगों को इंजरीज हुई है। किसी के पेरेंट्स भी मिसिंग है। हम्म। अभी चल रहा है ऐसा। सर्च में ही है। सर्च में ही है। पूरा हॉस्टल पांचो हॉस्टल जलकर खाक हुए क्या? हां हां पूरे में। ठीक है। अब तुम कहां पर हो? मैं अभी फ्रेंड के रूम पे आई हूं।

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