इस वजह से प्लेन में हुआ था हादसा, सामने आई सच्चाई ने सबके होश उड़ा दिए!..

12 जून को जो हुआ उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। अहमदाबाद से उड़ान भरते ही महज 36 सेकंड में फ्लाइट AI171 क्रैश हो गई। क्रू के साथ 241 यात्रियों और 30 से ज्यादा आम लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। अब सवाल उठ रहा है अगर ना बर्ड हिट हुआ ना लैंडिंग गियर फेल था तो फिर क्यों गिरा ड्रीम लाइनर? अब जो नई थ्योरी सामने आ रही है वो है एयर लॉक। एिएशन की भाषा में एयर लॉक तब होता है जब इंजन या फ्यूल सिस्टम में हवा के बुलबुले फंस जाते हैं। यह बुलबुले फ्यूल के फ्लो को रोक देते हैं और इंजन को पावर नहीं मिलती। इसका नतीजा अचानक पावर लॉस और थ्रस्ट में,

कमी। यानी प्लेन उठने के बजाय सीधे नीचे आने लगता है। फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर से मिली जानकारी के मुताबिक प्लेन ने टेक ऑफ के कुछ सेकंड बाद ही मेड मेड मेड कॉल दी थी। कैप्टन स्टीव शिबनर जैसे एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि एयर लॉक की स्थिति बन सकती है जब पाइपलाइन या फ्यूल टैंक में रखरखाव के दौरान हवा रह जाए। अहमदाबाद हादसे में रैट यानी कि रैम एयर टरबाइन एक्टिव हुआ जो तभी ऑन होता है जब प्लेन के इंजन या इलेक्ट्रिकल सिस्टम फेल हो जाए। इसका मतलब शायद दोनों इंजनों को फ्यूल मिलना बंद हो गया था। बोइंग 7878 ड्रीम,

लाइनर दुनिया का सबसे आधुनिक प्लेन माना जाता है। ये एक इंजन पर भी उड़ान भर सकता है। लेकिन अगर दोनों इंजन में एक साथ फ्यूल रुक जाए तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। इस तरह का फ्यूल फेलियर कम ही देखने को मिलता है। और अगर यह एयर लॉक के चलते हुआ हो तो यह एयर इंडिया और डीजीसीए के लिए मेंटेनेंस सिस्टम पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है। डीजीसीए और अंतरराष्ट्रीय एिएशन एजेंसियां अब एयर लॉक को लेकर गंभीरता से जांच कर रही है। हालांकि अभी फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स में बर्ड हिट की पुष्टि नहीं हुई है। लैंडिंग गियर सामान्य था। ब्लैक,

बॉक्स में टेक्निकल फ्यूल फेलियर के संकेत मिले हैं। अगर एयर लॉक ही कारण था तो सवाल उठता है क्या रखरखाव में चूक हुई थी? क्या फ्यूल लाइन की जांच पूरी नहीं हुई थी? और क्या इस टेक्नोलॉजिकल विफलता से 270 से ज्यादा जिंदगियां चली गई? जवाबों की तलाश जारी है। लेकिन सबक यही है हवाई सुरक्षा में कोई चूक मौत बन जाती है। इसी विमान के बारे में सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आई थी कि विमान के दाहिने इंजन को 3 महीने पहले मार्च 2025 में बदला गया था। अब इस मामले की जांच जारी है। ईटी के एक रिपोर्ट के मुताबिक विमान के ब्लैक बॉक्स को जांच,

के लिए अब अमेरिका भेजा जाएगा क्योंकि ब्लैक बॉक्स बाहर से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसलिए भारत में इसका डाटा निकालना मुश्किल है। अमेरिकी प्रयोगशाला में डिजिटल फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर यानी कि डीएफडीआर से डाटा निकाला जाएगा और इसे भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो एएआईबी के साथ साझा किया जाएगा। जांच में यह पता लगाया जाना है कि दुर्घटना कैसे हुई और इसकी वजह क्या थी। दरअसल एएआईबी ने दिल्ली में एक प्रयोगशाला बनाई है। लेकिन वह अभी तक इतनी आधुनिक नहीं है कि बुरी तरह से क्षतिग्रस्त ब्लैक बॉक्स के रिकॉर्डर से डाटा निकाल सके।

इसलिए एनटीएसबी की टीम भारतीय अधिकारियों की निगरानी में ब्लैक बॉक्स को अपनी प्रयोगशाला में ले जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। इस जांच में ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच भी शामिल होगी क्योंकि मरने वाले 53 ब्रिटिश नागरिक भी थे। भारतीय विमानन मंत्रालय ने कमेटी को 3 महीनों का समय दिया है। जिसके भीतर इस जांच को उन्हें पूरा करना है.

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