अहमदाबाद प्लेन हादसे में पायलट की गलती नहीं, रनवे पर हुआ तो कुछ अजीब..

अहमदाबाद एयरपोर्ट का यह वही रनवे है जिस पर से उस दिन एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या एआई 171 उड़ान भरी थी जो 625 फीट ऊपर तक जाती है। उसके बाद डिसेंट हो के आगे क्रैश हो जाती है जिसमें 242 लोग मारे गए थे। ये वही रनवे है। इस वीडियो में समझेंगे कि ये दोनों पायलट सुमित सब्रवाल और को-पायलट उस दिन कैसे इस रनवे पर टेक ऑफ करने के लिए कैसे उस दिन जद्दोजहद कर रहे होंगे। और यह प्लेन टेक ऑफ कैसे की। कि उस दिन ये सारी चीजें इस वीडियो में समझेंगे। ये वीडियो थोड़ा सा टेक्निकल होगा तो थोड़ा सा मैं कहूंगा आप लोग थोड़ा सा ध्यान से इस,

वीडियो को देखिएगा। आज एक नई थ्योरी निकल के आ रही है कि एयर इंडिया की AI 171 ये प्लेन जो है ये क्यों क्रैश हुई? बिल्कुल नई थ्योरी अब आ रही है। लोग इस पे बातें कर रहे हैं। ये भी एक संभावित वजह बताई जा रही है कि जिसकी वजह से प्लेन क्रैश हुआ होगा। और इस वजह की वजह से ऐसा नहीं है कि पहली बार ही प्लेन क्रैश हुआ। इस वजह की वजह से पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं। तो आइए इस वीडियो को शुरू करते हैं और आपको समझाते हैं इस हादसे की नई थ्योरी के बारे में। अब आगे हमारे पास एक रनवे का सेटेलाइट व्यू है। यह अहमदाबाद का रनवे नहीं है।

हमने Google पे सर्च करके किसी और एयरपोर्ट का यह रनवे निकाला है। इस रनवे से हम आपको समझाएंगे कि कहां पर प्लेन की स्पीड कितनी रहनी चाहिए थी और कितनी रही होगी और प्लेन ने कैसे टेक ऑफ करते हुए आगे शूट हो गई। भाई रनवे से आगे निकल गए। इन चीजों को समझेंगे। अब आपको स्क्रीन पर एक रनवे नजर आ रहा है जो मैंने पहले दिखाया था और उस पे ये सारा कुछ मैंने फिगर और ये कुछ ग्राफ-वफ बना रखा है। ये आपको हम बारीकी से समझाने की कोशिश करते हैं और आप भी समझिएगा। ये जानना जरूरी है आपके लिए भी कि ये चीज़ें है क्या? देखिए स्क्रीन पर आपको नजर आ रहा है। ये लिखा,

हुआ है V1 ये है VR VLOF और ये V2 ये सारी स्टेजेस क्या है? आपको समझाते हैं। अब यहां पर वी अब यहां पर V1, VR, VLF और V2 एक स्पीड है जो दर्शा रहा है कि प्लेन की अलग-अलग स्टेज पर कितनी स्पीड होनी चाहिए। ये स्पीड किन चीज पर डिपेंड करती है हम आपको आगे बताएंगे। लेकिन पहले ये समझते हैं। अब आपको स्क्रीन पर एक रनवे नज़र आ रहा है। रनवे की फोटो नज़र आ रही है। ये अहमदाबाद का वो रनवे नहीं है। Google से सर्च करके हमने निकाला इस रनवे को। इस रनवे पर हमने वो सारे मानक लिख दिए हैं जो अहमदाबाद के उस रनवे के हैं और बोइंग के,

बोइंग ड्रीमलाइनर एट के 7 87 विमान के हैं। ये सारे हमने लिख दिए हैं। जैसे इसमें वी1 वीआर वी एलओएफ और वी टू ये सारे वो फिगर्स हैं जो एक प्लेन की स्पीड को दर्शाता है अलग-अलग स्टेजेस पर। ये स्पीड किस चीज पर डिपेंड करता है? ये हम आपको आगे बताएंगे। लेकिन पहले हम समझ लेते हैं। देखिए उस दिन अहमदाबाद की रनवे की जो लंबाई थी वो थी 3505 मीटर। हमने भी इसीलिए 355 मीटर का मानक लेकर के चला है। उस दिन जो प्लेन था वो बोइंग का ड्रीम लाइनर एट 787 था जिसका एम टीओw ये हमने लिखा है एमटी ओडब्ल्यू मतलब मैक्सिमम टेक ऑफ वेट,

जो उसका होना चाहिए था ड्रीम लाइनर एट 787 का वो है 288000 किलो ये होना चाहिए। ये जो है ये उसका एक मानक है जो कंपनी दावा करती है कि इतना से ज्यादा हम जो है प्लेन नहीं उड़ा सकते हैं। इतना पे हम प्लेन जो है ईजीली टेक ऑफ करा सकते हैं और ये टेक ऑफ सिंगल इंजन पे ईजीली हो जाएगा। ये चीजें कही जा रही है। मतलब सिंगल इंजन पे ये जो टेक ऑफ है इतना लोड ले ये प्लेन जो है इतना लोड लेकर के टेक ऑफ कर जाएगा। अब देखिए अब ये जो प्लेन अगर फुल कैपेसिटी पे होगा और इस पे 228000 किलो का वजन होगा इस पूरे प्लेन का। इस वजन में प्लेन का खुद का वजन, फ्यूल का,

वजन, पैसेंजर का वजन, कॉर्गो जो सामान रखा है उसका वजन। ये सारे वजन मिलाकर के 2,28,000 किलो जो मैक्सिमम इसका वेट है वो होगा। तो इसकी V1 जो स्पीड होगी वो दो 240 से लेकर के 280 कि.मी./घंटा की होगी। इसके बाद VR आता है और VLOF आता है। जब प्लेन VLOF पे होगा तो इसकी स्पीड 280 से 300 कि.मी. की होगी और V2 पर जब आएगा ये प्लेन तो 300 से लेकर के 330 कि.मी./घंटा की रफ्तार पे उड़ रहा होगा। अब समझ लेते हैं जब हम प्लेन को डिस्कस करेंगे आगे तब आपको बताते जाएंगे VR VLF ये सारी चीजें क्या होती है। अब देखिए मान लीजिए ड्रीम लाइनर,

बोइंग की वही विमान 787 जो है वो यहां से टेक ऑफ करने के लिए उड़ान भरती है। और यहां से आती है वी1 स्टेज पर। अब V1 की स्पीड पर आते-आते पायलट को डिसाइड करना होता है कि उसे टेक ऑफ करना है या कैंसिल कर देना है। इसके पहले ही V1 के पहले ही यह डिसाइड कर लेना है। अगर V1 के पहले ही पायलट को लगता है कि स्पीड प्रॉपर नहीं है, टेक ऑफ नहीं कर सकते, समस्या लगती है, कोई समस्या लगती है तो यहां तक वो टेक ऑफ को अबोर्ट कर सकता है इस स्पीड तक। इस विमान के लिए ड्रीम 9R 787 के लिए 240 से 280 कि.मी. तक अगर 280 कि.मी. फुल,

कैपेसिटी पे चल रहा है। फुल वेट पे चल रहा है तो इसके आगे अगर स्पीड पहुंच जाती है तब प्लेन को वो अवॉर्ड नहीं कर सकता। फिर उसको टेक ऑफ करना ही करना है। वो टेक ऑफ को रद्द नहीं कर सकता। कुछ भी अगर एक इंजन खराब हो जाए तब भी उसको टेक ऑफ करने के लिए जाना ही जाना है। क्योंकि उसके बाद इतना रनवे नहीं बचेगा कि प्लेन को सेफली रोका जा सके। अब देखिए V1 VR ये सारे स्पीड हैं। ये डिपेंड किस पे करते हैं मैं आपको बता दूं। ये स्पीड सारे डिपेंड करते हैं प्लेन के वेट पर कि प्लेन का वेट कितना है? जैसे इसका 28000 वेट है। इसके,

बाद बाहर का टेंपरेचर कितना है? उस पे डिपेंड करता है। इसके बाद हवा की डेंसिटी कितनी है? एयर डेंसिटी कितनी है? इस पर ये स्पीड डिपेंड करती है। इसके बाद ये रनवे कितना बड़ा है? इस पर भी ये सारी ये जो स्पीड है V1, VR, VLF ये सारी स्पीड इस पर भी डिपेंड करती है। अब मान लीजिए प्लेन V1 तक पहुंच गया। कोई दिक्कत नहीं हुई। प्लेन जो है फुल अपने फुल वेट पर 280 की स्पीड 280 कि.मी. की जो है स्पीड पर आ गया। पायलट ने बोला अब आगे चलना है। आगे पायलट आता है यहां से V1 से। तो अगली स्टेज उसके पास आती है VR VR वो स्पीड होती है उसको,

बोलते हैं इस वेलोसिटी या स्पीड रोटेशन। ये होता है जब प्ला प्लेन का नोज़। प्लेन का नोज़ अगला जो पहला लैंडिंग गियर होता है पहला बिल्कुल पायलट के नीचे वाला। वह जब रनवे को छोड़ देता है, उसको हम वीआर पोजीशन बोलते हैं। इसके बाद आता है वी एल ओएफ मतलब स्पीड एट लिफ्ट ऑफ। लिफ्ट ऑफ मतलब जब प्लेन के सारे पहिए रनवे से ऊपर उठ जाते हैं। जैसे ही वह प्लेन रनवे से ऊपर उठेगा तो उसको हम वीएलओएफ कहते हैं। अब देखिए इस प्लेन के लिए जो वीएलओएफ था वो था 1800 से लेकर के 2000 मीटर पर। मतलब 1800 से 2000 मीटर पहुंचते-पहुंचते इस,

प्लेन को रनवे छोड़ देना चाहिए था और उस समय इसकी स्पीड 280 से 300 किमी/ घंटा की रफ्तार से होनी चाहिए थी। 300 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से 2,28,000 इसका मैक्सिमम लोड हो सकता है। इस मैक्सिमम लोड पर 2000 मीटर पर इस प्लेन को जो है टेक ऑफ कर जाना था। मतलब इसके सारे लैंडिंग गिय्स उठ जाने चाहिए थे। अगला पोजीशन आता है वी टू का पोजीशन। V2 का पोजीशन जो होता है वह हवा में होता है। वह रनवे पर नहीं होता है। इसके बाद 35 फीट पर जब प्लेन पहुंचता है तो उस समय कहा जाता है वो V2 की पोजीशन है और उसके बाद प्लेन जो है सेफली क्लाइम कर,

सकता है। बिल्कुल ऊपर जा सकता है। ठीक है? तो अब देखिए जिस प्लेन को जिस ड्रीमलाइनर 787 AI 171, Air Air इंडिया का AI 171 जिसको 2000 मीटर पर रनवे को छोड़ कर के उड़ जाना चाहिए था। वो प्लेन जो है वो पूरा रनवे की बिगिनिंग से शुरू होते हुए आगे निकलते हुए आगे निकलते हुए बिल्कुल वो पूरा कहा जा रहा है कि पूरा उसने 3500 मीटर का मतलब ये पूरा 3500 मीटर का पूरा जो है रनवे कंज्यूम करके फिर यहां आ करके टेक ऑफ किया। मतलब उसने 2,000 मीटर पर जिसे करना था वह 1500 मीटर आगे जाकर के वह टेक ऑफ करता है। मतलब जिसका 2 मीटर पर जिस,

प्लेन का वी एलओएफ था वो जो है वह 3500 मीटर पर जा करके उसका वीएलएफ होता है। मतलब इतना आगे चला जाता है। अब इसमें देखिए v1 vrf ये सारी चीजें शिफ्ट होती हैं। ये लाजमी है। इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है। ऐसा नहीं कि ये इतने मीटर पर फिक्स है तो इतने मीटर पे ही रहेगा। ये इतने मीटर पे फिक्स है। ये इतने मीटर पे रहेगा। ऐसा कुछ नहीं है। V1 भी डिपेंड करता है। अगर स्पीड कम रही तो V1 आगे चला जाएगा। V1 यहां से यहां आ जाएगा। V1 आगे बढ़ जाएगा। इसी तरह से VR आगे बढ़ जाएगा। वीएलओएफ आगे बढ़ जाएगा। V2 आगे बढ़ जाएगा।

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