पायलट की जगह ये शख्स करता है MAYDAY कॉल, प्लेन के कॉकपिट का ये है नियम..

अहमदाबाद विमान हादसे में 241 लोगों की मौत से पूरे देश में हड़कंप मच गया है। गुरुवार को लंदन जा रहा एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीम लाइनर विमान टेक ऑफ के समय अचानक क्रैश हो गया। सूत्रों से मिली हादसे की जानकारी के मुताबिक प्लेन क्रैश से पहले मेड ए कॉल आया था और जब एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने इस पर कोई हरकत दी तब तक विमान कुछ सेकंड में आग के गुब्बारे की तरह फट गया था,

अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह मेड कॉल क्या होती है? बता दें कि मेड कॉल एक इमरजेंसी सिग्नल कॉल है। इसका उपयोग हवाई जहाज और समुद्री जहाजों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल जान बचाने के लिए और यह बताने के लिए किया जाता है कि प्लेन में खतरा है। या प्लेन हाईजैक होने या टकराने की स्थिति में है और उस दौरान इमरजेंसी सिग्नल भेजने के लिए किया जाता है। इमरजेंसी के समय मे डे मेडे मेडे तीन बार लगातार बोला जाता है,

यह फ्रेंच शब्द एम आइडर से आया है जिसका मतलब है मेरी मदद करो। तो वहीं सवाल यह भी उठता है कि आखिर इमरजेंसी के वक्त मेड ए कॉल कौन करता है? तो आपको बता दें कि इमरजेंसी के समय पायलट का फोकस स्थिति को संभालने पर होता है। ऐसे में को पायलट मेड ए कॉल करता है। हालांकि यह फैसला दोनों का होता है। कैबिन क्रू का नेतृत्व आमतौर पर एक सीनियर फ्लाइट अटेंडेंट या कैबिन मैनेजर करता है,

और वहीं कॉकपिट क्रू के साथ कांटेक्ट बनाए रखते हैं ताकि किसी आपात स्थिति या यात्री की समस्या के दौरान वह समय पर एक्शन ले सके। कॉकपेट क्रू जिन्हें फ्लाइट क्रू भी कहा जाता है। फ्लाइट उड़ाने का काम करते हैं। इसमें मुख्य रूप से कैप्टन और को पायलट शामिल होते हैं। कुछ लंबी दूरी की उड़ानों में अतिरिक्त पायलट या फ्लाइट इंजीनियर भी हो सकते हैं। कैप्टन विमान का मेन पायलट होता है और उड़ान की पूरी जिम्मेदारी उसी पर होती है,

वो आखिरी फैसला लेता है। जैसे उड़ान शुरू करना, रास्ता बदलना या आपातकालीन लैंडिंग कराना। साथ ही मेड ए कॉल का फैसला भी उसी की सहमति से होता है। नमस्कार, मैं हूं मानक गुप्ता। अगर आपको हमारा यह वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें और हां, हमें सब्सक्राइब और फॉलो करना ना भूलें ताकि आप देश और दुनिया की कोई खबर मिस ना करें। तो जुड़े रहिए हमारे साथ और देखते रहिए.

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