11 नवंबर की सुबह बॉलीवुड और मीडिया गलियारों में हलचल मच गई। जब कुछ प्रमुख न्यूज़ चैनलों और पत्रकारों ने अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की खबर प्रसारित कर दी। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह और गीतकार जावेद अख्तर जैसे बड़े नामों ने भी श्रद्धांजलि पोस्ट की,
लेकिन कुछ घंटों बाद कहानी पलट गई। सुबह 9:40 पर धर्मेंद्र की पत्नी और भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने मीडिया को लताड़ लगाई। उन्होंने एक्स पर लिखा कि जिम्मेदार चैनल एक ऐसे व्यक्ति के बारे में झूठी खबर कैसे फैला सकते हैं जो ठीक हो रहा हो। उन्होंने इस फेक न्यूज़ पर निराशा जताते हुए चैनलों को गैर जिम्मेदार बताया। वहीं धर्मेंद्र की बेटी ईशा देओल ने Instagram पर साफ किया कि पापा बिल्कुल ठीक हैं और रिकवर कर रहे हैं,
उनकी मौत की खबरें झूठी और भ्रामक है। इन बयानों के बाद वे सभी पोस्ट और खबरें डिलीट कर दी गई जिन्होंने झूठी जानकारी फैलाई थी। मतलब जिन बड़े नेताओं और बॉलीवुड से भी सबने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। परिवार के मुताबिक धर्मेंद्र फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी हालत स्थिर है और सुधार हो रही है। लेकिन सवाल सिर्फ धर्मेंद्र के जिंदा रहने या नहीं रहने तक सीमित नहीं है। बल्कि यह भी समझना जरूरी है कि ऐसी फेक खबरें आती कैसे हैं और जिम्मेदारी किसकी है,
ज्यादातर शुरुआती पोस्ट सोशल मीडिया से आए कुछ एक्स यानी कि Twitter हैंडल्स और पेजों ने बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के धर्मेंद्र के निधन की पोस्ट डाल दी। यह पोस्ट तेजी से वायरल हुई और कई न्यूज़ पोर्टल्स ने बिना पुष्टि किए वही खबर उठा ली। यानी अफवाह की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई लेकिन उसे फैलाने का काम मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी किया। लेकिन यह मामला सिर्फ मीडिया की गैर जिम्मेदारी तक सीमित नहीं है,
बल्कि सेलिब्रिटी मैनेजमेंट सिस्टम यानी कि पीआर टीमों की सतर्कता पर भी सवाल उठाता है। जब कोई व्यक्ति इतना बड़ा नाम होता है जैसे धर्मेंद्र तो उनकी हर हलचल, सेहत या अफवाह पब्लिक इंटरेस्ट का हिस्सा बन जाती है। इसीलिए उनकी पीआर टीम की जिम्मेदारी भी दोगुनी हो जाती है कि वे अफवाह फैलाने से पहले या फैलते ही तुरंत प्रतिक्रिया दें। आज के सोशल मीडिया दौर में खबरें मिनटों में वायरल होती हैं,
अगर पीआर या परिवार की ओर से समय पर ऑफिशियल अपडेट नहीं आता तो अफवाहों के लिए जगह अपने आप बन ही जाती है। अब ऐसे में मीडिया, पीआर और पब्लिक तीनों का क्या रोल है? मीडिया को पुष्टि किए बिना खबर नहीं चलानी चाहिए। पीआर टीम को तुरंत और स्पष्ट बयान देना चाहिए। पब्लिक को बिना जांचे पोस्ट शेयर नहीं करनी चाहिए। जब तक कि वह ऑफिशियल किसी वेबसाइट से ना आई हो, ऑफिशियल के पेज से ना आई हो, तब तक किसी भी पोस्ट को शेयर ना करें। इन तीनों में से अगर कोई भी चूके तो फेक न्यूज़ का वायरस फैलना तय है। सिर्फ मीडिया को दोष देना आसान है,
लेकिन सच्चाई यह है कि आज अफवाहें रोकने के लिए एक जिम्मेदार पीआर और जागरूक जनता भी उतनी ही जरूरी है। ऐसी फेक खबरें सिर्फ किसी एक शख्स की इज्जत को नहीं बल्कि पूरे मीडिया और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट सिस्टम की साख को नुकसान पहुंचाते हैं। धर्मेंद्र जिंदा हैं और ठीक हो रहे हैं। लेकिन इस घटना ने साफ दिखा दिया कि हमारे सोशल मीडिया का ब्रेकिंग न्यूज़ कल्चर कभी-कभी सच्चाई से तेज भागता है। अब वक्त है रुकने का, सोचने का और यह समझने का भी कि वायरल होने से पहले सच्चा होना कितना जरूरी है। फिलहाल आप इस पर क्या कुछ कहेंगे? अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं।