मुंबई की महिला टीचर का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि महाराष्ट्र की हवा में एक और दिल दहला देने वाली चीख गूंज उठी है। और इस बार यह चीख आई पुणे से। एक ऐसी कॉलोनी से जिसे पौश कहा जाता है। लेकिन उस रात वही कॉलोनी किसी डरावने ट्रैप से कम नहीं थी,
एक 25 साल की युवती जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है। शाम के 7:30 बजे घर में अकेली थी और दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजे पर खड़ा था एक कूरियर बॉय। लेकिन वो ना तो कोई सामान लाया था ना ही कोई डिलीवरी। वो लाया था हैवानियत। वो लाया था डर जो कैमरों में भी कैद हो गया।
बुधवार शाम करीब 7:30 बजे जब युवती घर में अकेली थी तभी आरोपी डिलीवरी एजेंट बनकर उसके दरवाजे पर पहुंचा। युवती ने जब कहा कि उसके नाम कोई कूरियर नहीं है। तब आरोपी ने उसे साइन करने का बहाना बनाया और जैसे ही युवती ने दरवाजा खोला। दरिंदे ने उसके चेहरे पर स्प्रे कर दिया,
पीड़िता कुछ समझ नहीं पाती। इससे पहले ही आरोपी ने उस पर धावा बोल दिया। रेप की वारदात को अंजाम दिया। उसके साथ बलात्कार किया और मामला यहीं खत्म नहीं होता। आगे सुनिए। दरिंदगी की इस घटना के बाद आरोपी ने जाते-जाते पीड़िता के मोबाइल से एक सेल्फी ली। बस,
यहीं नहीं रुका। सेल्फी के नीचे लिखा वापस आऊंगा। साथ ही यह भी धमकी दी कि अगर युवती ने किसी को बताया तो वह उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। यह सिर्फ शब्द नहीं थे। यह धमकी थी एक बर्बर मानसिकता की। बल्कि यह घटना सवाल भी खड़े करती है,
कि आखिर हमारी हाई सिक्योरिटी सोसाइटियों की हकीकत क्या है? क्या वहां सिर्फ नाम के गार्ड होते हैं? क्या हम हर यूनिफार्म पहने इंसान पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं? कोडवा की इस पोस्ट सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरे अब पुणे पुलिस की सबसे बड़ी उम्मीद है। पुलिस को शक है कि आरोपी पीड़िता को पहले से जानता,
था। सवाल यह भी उठता है क्या उसने रेकी की थी? क्या सोसाइटी की सुरक्षा सिर्फ एक यूनिफार्म तक सीमित थी? इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हमारी सोसाइटी वाकई सुरक्षित है? क्या हर डिलीवरी बॉय हर दरवाजे की घंटी के पीछे अब शक की निगाह से देखा जाएगा?
पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 64, 77 और 351 दो के तहत केस दर्ज कर लिया है। आरोपी का चेहरा सीसीटीवी में कैद हो चुका है। तलाश तेज है। लेकिन जब तक ऐसे दरिंदों को सजा नहीं मिलती तब तक हर लड़की के दरवाजे पर खड़ी डर की यह दस्तक बार-बार दोहराई जाएगी। डीसीपी राजकुमार शिंद के,
अनुसार आरोपी का चेहरा कैमरे में कैद हुआ है और शक है कि उसने पहले से रेकी कर रखी थी या शायद वह पीड़िता को पहले से जानता था। यह भी जांच की जा रही है कि स्प्रे में कोई नशीला रसायन तो नहीं था क्योंकि युवती को होश घटना के 1 घंटे बाद आया। यह घटना केवल एक आपराधिक केस नहीं है,
बल्कि यह समाज के उस खतरे की ओर इशारा करती है जहां अपराधी पहले से कहीं अधिक कॉन्फिडेंस और तैयारी के साथ अपराध को अंजाम दे रहे हैं। युवती का अकेले रहना, उसका टेक सेवी होना या पोस्ट कॉलोनी में रहना इन सबके बावजूद भी वह सुरक्षित नहीं थी। यह केवल,
पुलिस के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। क्या अब हमें हर दरवाजे पर दस्तक के पीछे शक करना होगा? क्या हर कूरियर बॉय या डिलीवरी एजेंट को हमें शक की निगाहों से देखना होगा? और सबसे अहम सवाल क्या हमारी महिलाएं, हमारा घर और हमारी कॉलोनी क्या वाकई सुरक्षित हैं? पुणे की इस वारदात ने एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सुरक्षा केवल कैमरों और गेट्स से नहीं आती,
सुरक्षा आती है सजगता से, सतर्कता से और कानून के उस डर से जो आज के अपराधियों में लगभग नदारद होता जा रहा है। पुलिस की जांच जारी है। लेकिन जब तक इस आरोपी को सजा नहीं मिलती तब तक समाज का विश्वास बहाल नहीं हो सकता। इस मामले को लेकर आपकी क्या राय है? कमेंट सेक्शन में हमें जरूर बताएं