ब्लैक बॉक्स में पायलट की कॉल रिकॉडिंग ने खौला हादसे का पूरा सच!..

अब अगली खबर अहमदाबाद प्लेन क्रैश की वजहों का पता लगाया जा रहा है। जी हां, जांच एजेंसियां हादसे के हर पहलुओं को डिकोड करने में जुटी है। लेकिन अब सबकी नजर उस ब्लैक बॉक्स पर टिकी है जिसे घटना स्थल से बरामद किया गया। क्योंकि अब तक प्लेन क्रैश की असली वजह का पता नहीं चल पाया है,

आखिर टेक ऑफ होने के कुछ सेकंड बाद ही प्लेन आग का गोला कैसे बन गया? कैसे प्लेन में सवार 241 लोग मौत के मुंह में समा गए? कैसे सिर्फ एक यात्री इस भीषण हादसे में बचकर अपने पैरों पर चलकर बाहर आ गया। सब कुछ इस ब्लैक बॉक्स में महफूज़ है जिसे डिकोड करने की तैयारी शुरू हो गई है,

दरअसल यह ब्लैक बॉक्स सभी विमानों में मौजूद होता है। अगर कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो ब्लैक बॉक्स की मदद से हादसे की वजह का पता लगाना बेहद आसान हो जाता है। ब्लैक बॉक्स में दो ऑरेंज क्रैश रेजिस्टेंस डिवाइस होते हैं जो भीषण आग या पानी के तेज बहाव में भी नष्ट नहीं होते। ऐसे में हादसे के दौरान क्या पायलट ने फ्लाइट से नियंत्रण खो दिया था? क्या फ्लाइट का इंजन खराब था?,

आखिरी समय में पायलट के बीच क्या बातचीत हुई? प्लेन में क्या तकनीकी खराबी थी? इन सभी सवालों के जवाब ब्लैक बॉक्स में ही हो सकते हैं। यही वजह है कि प्लेन क्रैश के बाद से ही ब्लैक बॉक्स को ढूंढा जा रहा है जिसे बरामद कर लिया गया है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद इसे फॉरेंसिक लैब में भेजा गया है। ब्यूरो ऑफ एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट सबसे पहले ब्लैक बॉक्स की जांच करेगा,

अगर ब्लैक बॉक्स कहीं से डैमेज होगा तो इसे रिपेयर किया जाएगा। इसके बाद ब्लैक बॉक्स से ट्रैफिक कंट्रोल रिकॉर्ड समेत फ्लाइट का पूरा डाटा निकाला जाएगा। ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने के लिए 3D कंप्यूटर की मदद ली जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ हफ्तों या फिर कुछ महीनों का भी समय लग सकता है।

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