अयोध्या में बाबरी की जगह जो मस्जिद बननी थी.. उसका नक्शा क्यों और किसने खारिज कर दिया है?..

अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह कोर्ट ने जो दूसरी मस्जिद बनाने के निर्देश दिए थे, उसका क्या हुआ? बीते 6 सालों से तो कुछ नहीं हुआ। और अब अयोध्या विकास प्राधिकरण ने उस नई मस्जिद के नक्शे तक को खारिज कर दिया है। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर अंतिम फैसला सुनाया था। आदेश था कि बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर बनवाया जाएगा और मुस्लिम पक्ष को बाबरी मस्जिद के एवज में एक दूसरी मस्जिद बनाने के लिए जमीन दे दी जाएगी,

यह जमीन मिली अयोध्या राम मंदिर से करीब 25 कि.मी. दूर में। फैजाबाद हाईवे पर मौजूद सुहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में। इस गांव में पहले से ही एक मजार मौजूद है। बाजार के चारों ओर खाली 5 एकड़ जमीन में मस्जिद बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगस्त 2020 में ही तात्कालीन डीएम ने मुस्लिम पक्ष को जमीन भी ट्रांसफर कर दी। मुस्लिम पक्ष ने नक्शा भी बनवा लिया। लेकिन अब तक उस नक्शे को अयोध्या विकास प्राधिकरण से मंजूरी नहीं मिली है,

यहां तक कि उस नक्शे को खारिज भी कर दिया गया है। क्या है पूरा मामला? बाबरी मस्जिद के एवज में कहां और कितनी जमीन नई मस्जिद के लिए दी गई है? 6 साल बाद भी उस नई मस्जिद के लिए एक ईंट तक क्यों नहीं रखी गई है? और अब अयोध्या विकास प्राधिकरण के द्वारा नक्शा खारिज होने को लेकर आरटीआई में क्या कुछ खुलासा हुआ है? सब कुछ जानते हैं इस वीडियो में। हेलो, मैं हिमांशु हूं और आप देख रहे हैं खबरगांव। कहानी शुरू से सुनिए। राम मंदिर विवाद तक तो नहीं जाएंगे, लेकिन यह तो सब जानते हैं कि 9 नवंबर 2019 को इस मामले में सुप्रीम फैसला आ गया था,

कोर्ट ने बाबरी मस्जिद वाली जगह मंदिर के लिए दे दी थी। जबकि राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को दूसरी जमीन अलॉट कर दी जाए। तो फिर जमीन कहां मिली?
राम मंदिर से 25 कि.मी. दूर में। अयोध्या छोटी जगह है। 25 कि.मी. दूर मौजूद गांव अयोध्या या फैजाबाद में नहीं आता। दूसरी तहसील लग जाती है सोहावल और गांव का नाम होता है धन्नीपुर। करीब ढाई हजार की आबादी वाले धनीपुर की आधी आबादी मुस्लिम है। करीब 13,300 की आबादी,

गांव के बीचों-बीच सफेद रंग की शाहगजा शाह मजार मौजूद है। एक चारों ओर इसके 5 एकड़ जमीन कई साल से खाली पड़ी हुई है। यहीं पर मस्जिद नई वाली बनाना तय हुआ है। 3 अगस्त 2020 को अयोध्या के तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा ने इस 5 एकड़ जमीन को सुन्नी सेंट्रल वफ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया ताकि यहां नई मस्जिद बनाई जा सके। सुन्नी सेंट्रल वफ बोर्ड ने मस्जिद निर्माण के लिए एक अलग से मस्जिद ट्रस्ट बनाया। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट। अब मस्जिद क्या है? उसके बारे में जान लेते हैं। 26 जनवरी 2021 को मस्जिद ट्रस्ट ने बीजेपी नेता हाजी अराफात के साथ मिलकर मस्जिद का खा तैयार किया,

पुणे के आर्किटेक्ट इमरान शेख ने मस्जिद का डिजाइन तैयार किया जो करीब 11 एकड़ में फैला हुआ है और 500 करोड़ की अनुमानित लागत से तैयार किया जाना है। इस मस्जिद में 9000 लोगों के एक साथ नमाज पढ़ने की जगह होगी। पहली मंजिल पर 4000 महिलाएं भी नमाज पढ़ सकेंगी। इस मस्जिद में 33 फीट से ज्यादा ऊंची मीनार तैयार की जाएगी जिसे 11 किमी दूर से देखा जा सकेगा,

खास बात यह होगी कि इस मस्जिद में 21 फीट ऊंची और 36 फीट चौड़ी दुनिया की सबसे बड़ी कुरान भीड़ रखी जाएगी। 23 जून 2021 को मस्जिद ट्रस्ट ने इस प्रोजेक्ट और नक्शे को मंजूरी के लिए आवेदन किया। लेकिन अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इस नक्शे को ही खारिज कर दिया। हवाला दिया गया कि मस्जिद ट्रस्ट के पास इस मस्जिद को तैयार कराने के लिए सरकारी विभागों से एनओसी ही नहीं है। इस पूरे मामले का खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है,

क्या पूछा गया था आरटीआई में? अयोध्या के देवनगर कॉलोनी में रहने वाले ओम प्रकाश सिंह ने 18 अगस्त 2025 को आरटीआई डाली थी। अयोध्या विकास प्राधिकरण में और चार सवालों के जवाब मांगे थे। पहला सवाल मस्जिद निर्माण के लिए बने ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने नक्शा पास कराने के लिए किस तारीख को अर्ज़ डाली थी?,

जवाब मिला 23 जून 2021 को यानी करीब 4 साल पहले। आरटीआई में दूसरा सवाल पूछा गया कि मस्जिद ट्रस्ट ने नक्शे के मद में अयोध्या विकास प्राधिकरण को कितना भुगतान किया?
जवाब मिला नक्शा आवेदन शुल्क ₹234113 और स्क्रूटनिंग फीस ₹168515 यानी कि कुल ₹22628 आरटीआई में तीसरा सवाल किया गया मस्जिद ट्रस्ट ने जो नक्शा दाखिल किया है उसकी अब स्थिति क्या है? क्या नक्शा पास हो गया है? इसका जवाब मिला अस्वीकृत यानी कि नक्शा खारिज कर दिया गया है,

और आरटीआई में चौथा सवाल किया गया कि अगर नक्शा पास नहीं हुआ है तो उसकी वजह क्या है? वजह के तौर पर जवाब मिला कि अलग-अलग विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र ना प्रस्तुत करने एवं आवश्यक दस्तावेज ना उपलब्ध कराने के कारण। यहीं से यह खुलासा हुआ है कि नक्शा पास कराने के लिए जो जरूरी एनओसी है वो मस्जिद ट्रस्ट के पास है ही नहीं। और इसी के चलते अयोध्या विकास प्राधिकरण ने नक्शा अस्वीकृत कर दिया है। एडीए अयोध्या डेवलपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष अविनाश पांडे ने इसे लेकर दैनिक भास्कर को बताया कि अयोध्या मस्जिद का आवेदन करने के बाद 2023 में आवेदक से सभी एनओसी मांगी गई थी,

जिन्हें उपलब्ध नहीं कराने पर उनका एप्लीकेशन ऑटो रिजेक्ट हो गई। उनसे अपेक्षा की गई कि फिर से एप्लीकेशन के साथ सारे पेपर अपलोड करें। इसके बाद आवेदन पर विचार किया जाएगा। यानी कि एनओसी नहीं देने के चलते नक्शा रिजेक्ट कर दिया गया है। अगर एनओसी के साथ उस आवेदन को दोबारा दाखिल किया जाता है तो प्राधिकरण उस पर आवश्यक कारवाई करेगा। तो चलिए अब यह जानते हैं कि आखिरकार मस्जिद बनाने के लिए किन-किन एनओसी की जरूरत है और अब तक मस्जिद ट्रस्ट को वो मिले क्यों नहीं है,

अयोध्या विकास प्राधिकरण की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक मस्जिद का नक्शा पास कराने के लिए पीडब्ल्यूडी प्रदूषण नियंत्रण नागरिक उड्डयन, सिंचाई, राजस्व नगर निगम, जिला मजिस्ट्रेट और अग्निशमन सेवा विभाग से एनओसी की जरूरत होती है। इन सारे विभागों से एनओसी क्यों नहीं मिली?
इस बारे में पब्लिक में जानकारी उपलब्ध नहीं है। सिवाय अग्निशमन विभाग के। अग्निशमन विभाग ने जब एनओसी के लिए मस्जिद स्थल का दौरा किया था,

तब उन्होंने पाया था कि मस्जिद और उसके साथ बन रहे हॉस्पिटल की इमारत की जो ऊंचाई है उतनी बड़ी बिल्डिंग के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़क होनी जरूरी है। नियम यही कहता है। लेकिन अग्निशमन विभाग के निरीक्षण में पता चला कि वहां पहुंचने वाली दोनों सड़क की चौड़ाई 6 मीटर से ज्यादा है ही नहीं। और जो मुख्य मार्ग है वह तो महज 4 मीटर ही चौड़ा है। मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन का भी यही कहना है। उन्हें अग्निशमन विभाग की ओर से आई आपत्ति और एनओसी ना देने को लेकर जानकारी तो है लेकिन दूसरे विभाग जैसे कि राजस्व, नगर निगम, नागरिक उड्डयन, सिंचाई जैसे विभाग से एनओसी क्यों नहीं मिला? इसकी जानकारी उन्हें नहीं है,

मस्जिद ट्रस्ट का कहना है कि अब जब मामला आरटीआई के जरिए उजागर हो गया है तो ट्रस्ट आगे का फैसला करेगा। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही धननीपुर के लोग इस मस्जिद के बनने की आस में है। शहर के बीचों-बीच मौजूद शाहगदा शाह मजार के चारों ओर मौजूद खाली जमीन पर यह मस्जिद बनाई जानी है। जहां गांव के बच्चे अभी क्रिकेट खेलते हैं। मजार के चारों ओर लगे लोहे के बोर्ड पर नई मस्जिद, नए अस्पताल और नए स्कूल के डिजाइन की फोटो लगी हुई है। लेकिन 2019 से अब तक धननीपुर में एक नया पत्थर तक नहीं रखा गया.

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