ज्योति की गिरफ्तारी के बाद जब उसको पुलिस उसके घर लेकर गई थी वहां उसने एक डायरी में एक नोट लिखा हुआ था वो नोट भी सामने आया है ज्योति की गिरफ्तारी के वक्त का नोट सामने आया डायरी में ज्योति ने लिखा था सविता को कहना फ्रूट्स ला दें ज्योति ने लिखा घर का ख्याल रखें जल्दी आ जाऊंगी सविता को कहना फ्रूट्स ला दें अब इसकी भी पड़ताल की जा रही है कि आखिर वो क्या कहने की कोशिश कर रही थी और कहीं किसी तरह के कोड वर्ड में कोई बात कहने की कोशिश तो नहीं की गई तो अब यह जाहिर है जांच का विषय है.
पड़ताल का विषय है और आपको यह बता दें कि ज्योति ही नहीं किन-किन पर है गद्दारी का आरोप एक लंबी फहरिस्त सामने आई है ज्योति महलत्रा का जिक्र हो रहा है जो कि हिसार की रहने वाली है पाकिस्तान और पहलगाम कनेक्शन की जांच की जा रही है ज्योति के बारे में क्योंकि पता ये चला है कि वो पहलगाम भी गई थी अब किस मकसद से गई थी ये जांच का विषय है दूसरा शख्स जिसकी तस्वीर अब आपके सामने है.
तारीफ इसका नाम है नूह का यह रहने वाला है सिरसा एयरबेस की जानकारी इससे मांगी गई थी यह अभी तक की जांच में पता चला है अब तीसरा शख्स जो है उसका नाम है अरमान यह देखिए इसकी तस्वीर भी आपके सामने आ गई यह भी नूह का ही रहने वाला है WhatsApp से गोपनीय जानकारियां भेजने का इसके ऊपर आरोप है आगे बढ़ते हैं गजाला मलेर कोटला की ये रहने वाली है और ज्योति महलोत्रा के बाद इसे आरोपी नंबर दो बनाया गया है नाम है इसका गजाला तो एक लंबी फहरिस्त है वो जासूस जो कि अब भारतीय एजेंसियों के रडार पर हैं.
राकिब भटिंडा का रहने वाला है आईएसआई को गोपनीय जानकारियां भेजने का इसके ऊपर भी आरोप है एक और नाम सामने आया है कैथल का देवेंद्र सिंह यह तस्वीर है उसकी करतारपुर में पाक इंटेलिजेंस से जुड़ने का इसके ऊपर आरोप है आईएसआई से जुड़ने का आरोप है इसके अलावा एक और लड़की प्रियंका सेनापति पूरी ज्योति महलोत्रा और पाकिस्तान लिंक पर इससे भी पूछताछ की जा रही है तो एक लंबी फहरिस्त देखिए सामने आ गई है पहलगाम अटैक होता है उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया जाता है और अब देश में मौजूद जो जासूस हैं उनके खिलाफ एक-एक करके कारवाई शुरू हो चुकी है हमारे साथ इस वक्त तमाम खास मेहमान बने हुए हैं.
विक्रम सिंह साहब हमारे साथ मौजूद हैं जो कि यूपी के डीजीपी रह चुके हैं सिंह साहब आपका एक लंबा एक्सपीरियंस रहा और उस अनुभव के आधार पर बल्कि मैं सीधे आपसे पूछता हूं कि आप के आप जब सर्व कर रहे थे पुलिस डिपार्टमेंट में तो उस वक्त तो तमाम ऐसे जासूस भी जांच की जद में आए होंगे जो आईएसआई के लिए काम करते हुए पकड़े गए होंगे क्या जानकारियां किस तरह की जानकारियां उनके हाथ उनके पास से आप लोगों को मिली और उसके बिना पर आज कुछ बताना चाहेंगे आप बिल्कुल बताना चाहूंगा देश के लिए और आप सभी के लिए विद्वान पैनलिस्ट एंबेसडर दीपक बोरा सर सूत सर जनरल कुलकर्णी सर अभी हमारा ज्ञानार्जन करेंगे और देशवाल जी भी मैं यह बताना चाहूंगा इनकी जो ज़हन की तरबियत और वायरिंग होती है.
वो एक महीनों और वर्षों के बाद एजेंट तैयार होता है फिर इनको टास्क दिया जाता है क्या आप सीआरपीएफ मैं रियल लाइफ बता रहा हूं क्या आप सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के ऊपर हमला करेंगे कुछ लोग बैक आउट कुछ कहते हैं हां हम करेंगे वो करते भी हैं कामयाब भी होते हैं और फिर पूरी यूपी पुलिस के एटीएस और एसटीएफ के ह्थे चढ़ जाते हैं इंटेरोगेशन होता है पहले तीन दिन कहते हैं कि आप बोटी बोटी काट दीजिए हम एक लफ्ज नहीं निकालेंगे.
हमने कहा पहले रुक जाओ ठहर जाओ जरा तुम्हारे अंदर का जब नशा उतर जाएगा तब हम बात करेंगे तुमसे 72 घंटे बीतते हैं तो फिर वो दुम हिला करके लार टपकाते हुए कहते हैं अंकिल जी बताइए क्या जानना चाहते हैं आप हम् तो अंकल जी जब पूछते हैं तो बिलकुल ग्रामाफ़ोन का रिकॉर्ड क्योंकि हम लोग थर्ड डिग्री इस्तेमाल नहीं करते हैं हम लोग साइकोलॉजी से इस्तेमाल करते हैं वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल करते हैं पॉलीग्राफ टेस्ट करते हैं नार्को एनालिसिस करते हैं और आजकल तो सर इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस ही इतने सारे हो जाते हैं कि सामने वाला कुछ बोल नहीं सुनने की जरूरत नहीं है.
लेकिन इनकी ट्रेनिंग देखिए जैसे हमने कहा कि हम तुम्हारे आका से तुम्हारी बात कराना चाहेंगे उनका लीजिए सर नंबर लीजिए मेजर इकबाल नंबर लीजिए मिला दीजिए मुझे मालूम था कि कोई मतलब आप ये रियल इंसिडेंट बता रहे हैं कि आईएसआई का एक जासूस पकड़ा गया और उससे इंटेरोगेशन में क्या-क्या हुआ जी उसके बाद बेजर इकबाल वालेकुम सलाम सर हम आप सब खैरियत से हैं उनका लगता है तुम मामू के यहां पहुंच गए हो अल्लाह हाफिज अपना ख्याल रखना वो समझ गए कि वो जो है कस्टडी में है पुलिस के क्या लगता है.
तुम मामू के यहां पहुंच गए हो अपना ख्याल रखना अब इसके बाद बात आती है कैसे आप उनसे वह फिर भी आपको मिसगाइड करने की कोशिश करते हैं गुमराह करने की कोशिश करते हैं और बहुत ही आप पेशेंट इंटेरोगेशन इंटेरोगेशन एक कला भी है विज्ञान भी है जब आप पूछते हैं तो परत दर पर तरीके के उनके पैंट्स भी आईएसआई के हमारे हाथ लगे उन पैंफेट्स का एक मुझे वाक्य याद आ रहा है लोगों से गुफ्तगू करो गुफ्तगू करने से और गौर से देखने में बड़ी मालूमात हासिल हो जाती है अ प्रोफाउंड सेंटेंस कि कुछ ना करो सिर्फ बातचीत करो गुफ्तगू करो और उसने जो अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किए हैं.
और जो नज़ारे हैं जिस आपने जो इन्फ्लुएंस को देखा भाई ये तो सबको मालूम है लेकिन जो सड़क सड़क का तरीका उसका मटेरियल सड़क में आमो दरफ़ वो तमाम चीजें इनकी मेमोरी फाइल्स में आईएसआई पाकिस्तान की जाती हैं अब दो तरह के इंटेरोगेटर्स होते हैं एक मेरी तरह के होते हैं हम जिसको जा कहते हैं कि तुम कितने भी कड़े क्यों ना हो मैं तुमसे उगलवा तो लूंगा हम और हमसे भी ज्यादा कामयाब वो होते हैं.
जनरल कुलकर्णी देशवाल साहब ऐसे बड़ी मुलाहिमियत के साथ बिरयानी पेश करके और तुमकी पूरी तरत वो भी ज्यादा कामयाब हो जाते हैं कभी-कभी ज्यादा कामयाब लेकिन मकसद है इंफॉर्मेशन निकालना कैसे आप निकालते हैं ये आपकी सलाहियत है और निकाल तो हम लेते हैं चाहे ब्लो हॉट करके या ब्लो कोल्ड करके या दोनों इस्तेमाल करके चाहे होम्योपैथिक इलाज हो या बाईपास या दोनों इलाज तो माकूल हो ही जाता है और ये बता दिया जाता है कि तुम्हारी जो ट्रेनिंग हुई है अब तुम्हें यहां कोई बचाने वाला वाला नहीं है और अगर जरूरत पड़ी तुम्हारी चीखें सुनने वाला भी कोई नहीं बस इतने से मैं समाप्त करता हूं.
हम ठीक है ठीक है यह आपने बहुत महत्वपूर्ण बात बताई और आगे हम आपसे ये और जानने की कोशिश करेंगे कि बड़े-बड़े जो जासूस पकड़े गए हैं उनसे कैसे राज उगलवाए गए और कैसे उनका कच्चा चिट्ठा खोला गया लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी हमारे साथ मौजूद हैं कुलकर्णी सर आप किस तरह से देखेंगे अभी तक जो इंफॉर्मेशन सामने आई है एक पल को तो देख के लगता है कि भाई यह नॉर्मल ब्लॉगर है जगह-जगह जाती है वॉग्स बनाती है और अपने वीडियोस शेयर करती है उन्हें YouTube पर डालती है जिससे उसे कुछ कमाई भी होती है एक ऐसे शख्स को टारगेट करना आईएसआई की तरफ से यह कितना आपको मुमकिन नजर आता है.
और अगर ज्योति महलोत्रा वाकई आईएसआई के लिए काम कर रही थी जासूस बन गई थी तो उससे क्या फायदा हो रहा होगा आईएसआई को बहुत-बहुत धन्यवाद आपने सब वेरी इंपॉर्टेंट पैनलिस्ट बहुत जिनके सेवा इस पूरी फील्ड में है लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं ये सबसे पुराना काम है जितना पुराना सोल्जरिंग है उतना ही पुराना स्पाइंग है और ये कारवाई जो होती है हर एक के आंख और कान जब तक वो कहते हैं ना इफ यू नो द एनिमी एंड यू नो योरसेल्फ इन 100 बैक्ट्स विल नेवर लूज तो ये काम है आईएसआई एक ऑर्गेनाइजेशन है.
जिसका खास मकसद शुरुआत से ही रहा है 1947 से लगातार जब आजादी मिली आपको आश्चर्य होगा पूरा मिलिट्री इंटेलिजेंस के में सिर्फ एक टेबल और चेयर रह गया था बाकी सारे के सारे डॉक्यूमेंट्स वो लेकर के चले गए या खान 1948 में ही आईएसआई का गठन हो गया था हां 1947 से या खान वाज़ जी3 विद अपना जी2 विद फील्ड मार्शल मानिकशाह उस वक्त जब बंटवारा हुआ फौज का तो जितने लोग उधर जाने थे वो चले गए अधिकतर 99.9% इन पाकिस्तान व ऑल मुस्लिम ऑफिसर्स एंड मेन अपने यहां पे काफी मुसलमान ऑफिसर्स रहे अपने पास मेन रहे.
पर पाकिस्तान में वो चले गए उसके बाद से जिस प्रकार से कारवाई शुरू हुई टू ब्लीड इंडिया विद थाउजेंड कट्स ये जो शुरुआत है अब इसमें सब तरह के हम लोग को जो भी ऑर्गेनाइजेशन होगा चाहे वो टेक्नोलॉजिकल डिप्लोमेटिक पिट पोलिटिकल कल्चरल मिलिट्री सब तरह के अंदाज क्योंकि अब पता चलता है कि ये जैसे लड़की है ज्योति मल्होत्रा शी जस्ट वन शी इज़ अ फैसिलिटेटर बाकी जो मास्टरमाइंड है वो पीछे है वो मास्टरमाइंड इन फैसिलिटेटर से कहा अब ये जो यू YouTube है ट्रेवल्स का बनाती है ये बहुत आसान है.
इसको बिकॉज़ शी गोज़ एवरीवेयर हर जगह घूमती है चाहे वो मिलिट्री इंस्टॉलेशन है इधर है उधर है शी विल कीप क्रिकिंग फोटोग्राफ इनको सबको सबका जो हिसाब हिसाब किताब है वो पैसे के ऊपर है पैसे का खेल है यह और कौन कितने खाना चाहता है कौन सब बिकाऊ है ये सारे के सारे पैसे के उसको बिलकुल लेकिन वाकई ताज्जुब है पैसों के लालच में क्या कोई कदर भी गिर सकता है क्या देश के साथ गद्दारी की जा सकती है सबसे बड़ा सवाल तो हर किसी के ज़हन में यही.