अमेरिका के ईरान पर हमले से भड़के मुस्लिम देश, की आलोचना। सऊदी ने भी अमेरिका को लताड़ा..

अमेरिका द्वारा ईरान की परमाणु साइट्स पर हमले से कई खाड़ी देशों में हड़कंप मच गया है। जहां एक ओर ईरान पर हमले से खुद अमेरिका में ट्रंप का विरोध हो रहा है। तो वहीं दूसरी ओर तमाम मुस्लिम देशों ने भी अमेरिका के इस कदम की आलोचना की है। जिसके बाद ईरान नहीं बल्कि लगभग सभी मुस्लिम देशों के नेताओं ने ट्रंप के खिलाफ आलोचक बयान दिए,

शरीयत मदारी कायहान के प्रबंध संपादक और खामिनई के बेहद करीबी हुसैन शरीयत मदारी ने कहा कि अब अमेरिका पर कार्रवाई का वक्त आ गया है। अब बिना देरी किए कार्रवाई करने की हमारी बारी है। पहले कदम के रूप में हमें बहरीन में अमेरिकी नौसैनिक बेड़े पर मिसाइल हमला करना चाहिए। साथ ही अमेरिकी, ब्रिटिश, जर्मन और फ्रांसीसी जहाजों के लिए हॉर्मोस स्ट्रेट को बंद करना चाहिए। तो वहीं ईरान पर हुए हमले को लेकर क़तर ने भी चेतावनी जारी कर दी है,

क़तर का कहना है कि अगर ईरान के न्यूक्लियर प्लांट पर हमला हुआ तो खाड़ी क्षेत्र से पानी खत्म हो जाएगा। क़तर के प्रधानमंत्री मोहम्मद अलथानी का कहना है कि अगर न्यूक्लियर प्लांट पर हमला हुआ तो पानी की सप्लाई असुरक्षित हो सकती है। क्योंकि खाड़ी के देश फारस की खाड़ी से आने वाले पानी पर निर्भर है। पानी पूरी तरह से दूषित हो जाएगा। ना पानी होगा ना मछली कुछ भी नहीं। इसमें जीवन ही नहीं रहेगा,

उन्होंने कहा था कि हमारे लोगों के लिए हम जो पानी का इस्तेमाल करते हैं वो डिसलिनेशन की प्रक्रिया से आता है। हमारे पास नदियां नहीं है और हमारे पास जलाशय भी नहीं है। यह हालात सिर्फ क़तर नहीं बल्कि कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात के लिए भी हैं। हम सभी के लिए हैं। अलथानी ने जानकारी दी थी कि क़तर ने प्लांट पर हमले से होने वाले नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। साथ ही बताया था कि ऐतिहाद के तौर पर बड़ी स्टोरेज का निर्माण कराया गया है,

क्षेत्रीय नेता ने इस बात पर भी चिंता जताई कि अगर परमाणु ठिकाने पर हमला हुआ तो क्या होगा? कतर और यूएई के विदेश मंत्रियों ने चेताया कि यह स्ट्राइक पानी को नुकसान पहुंचा सकती है। जिन पर खाड़ी देश निर्भर हैं। तो वहीं अमेरिका के रविवार को ईरान में किए गए हमलों का सऊदी अरब, पाकिस्तान, ओमान और इराक जैसे मुस्लिम बाहुल्य देशों ने कड़ा ऐतराज जताया। खाड़ी में एक बड़ी ताकत और अमेरिका के करीबी सहयोगी सऊदी अरब ने भी इसका विरोध किया है,

अमेरिका के करीबी सहयोगी सऊदी के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि वाशिंगटन के हमले ईरानी संप्रभुता का उल्लंघन है। हम इन हमलों की निंदा करते हैं। सऊदी अरब ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमलों के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ रहे संघर्ष पर चिंता जताते हुए तनाव कम करने का आह्वान किया है। अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता में मध्यस्थता करने वाले ओमान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है,

ओमान ने अमेरिकी हमलों को पूरी तरह अवैध आक्रमण कहते हुए निंदा की है। तो वहीं पाकिस्तान ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तान ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हमलों की निंदा की। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर स्ट्राइक चिंता को बढ़ाती है। यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है। हम ईरान के साथ एकजुटता जताते हुए सभी पक्षों से शांति की अपील करते हैं,

ईरान के पड़ोसी इराक ने भी क्षेत्र में सैन्य वृद्धि की आलोचना की है। इराकी सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि वह इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान में परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने की निंदा करते हैं। यह सैन्य वृद्धि मध्यपूर्व में शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। इस तरह के हमले क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं। इन तमाम मुस्लिम देशों के बयान उस समय आए हैं,

जब अमेरिका और ईरान के बीच नई जंग की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि अमेरिका ने रविवार सुबह ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले किए। तीन ईरानी परमाणु ठिकानों पर बड़ा हमला किया गया। ईरान ने इस पर कहा कि अमेरिका का यह कदम बहुत खतरनाक और गैरकानूनी रहा। ईरान ने अमेरिका को पलटवार का संकेत देते हुए कहा कि उसकी जवाबी कारवाई के सभी विकल्प खुले हैं.

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