गोवर्धन असरानी को अपना गुरु क्यों मानते थे रज़ा मुराद? क्या था दोनों के बीच रिश्ता?..

असरानी साहब के देहांत से एक एक दौर खत्म हो गया है। एक दौर जो तकरीबन 60 साल सर चढ़कर बोला था। एक ऐसा कलाकार जिसकी रेंज मैं नहीं समझता के हिस्ट्री में इतिहास में दो या तीन कलाकार होंगे जिनकी ऐसी रेंज होगी ऐसी वर्सटालिटी होगी जो असरानी साहब में थी आप उन्हें कॉमिक रोल दे दें आप उन्हें विलनिश रोल दे दें। आप उन्हें सीरियस रोल दे दें। और बहुत सी गुजराती फिल्मों में वो एज अ हीरो भी आए,

हिंदी फिल्मों में भी हीरो आए और जो रोल भी उन्होंने किया बहुत ही कामयाबी से किया। तो ही वाज़ अ पावर हाउस परफॉर्मर। इतना टैलेंट बहुत कम लोगों में होता है। मेरा उनसे रिश्ता बहुत पुराना है। मैंने जब पहला कदम रखा था फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टट्यूट ऑफ इंडिया में 1969 में तो वहां हमारे वो टीचर थे। हमें मूवमेंट इमेजिनेशन और डिक्शन की कोचिंग करवाते थे। बहुत ही गंभीर रहते थे। कभी हमें अंदाजा नहीं था कि आगे चलके यह इतने बड़े कॉमेडियन साबित होंगे और मेरे कई रिश्ते थे उनके साथ। एक तो गुरु चेला का रिश्ता था,

फिर मैं उनका को एक्टर था। नमक हराम में हमने साथ काम किया। उसके बाद उनकी डायरेक्शन में मैंने काम किया। फिल्म दिल ही तो है में। और हमने शोज़ भी बहुत साथ किए। तो जो उनकी कॉमिक टाइमिंग थी उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर और प्रेजेंस ऑफ माइंड हाजिर जवाबी मैंने कभी किसी में नहीं देखी। तो फुलझड़ियां भी छोड़ते रहते थे बीच में। एक शो था जिसमें मिथुन चक्रवर्ती को उन्हें इंट्रोड्यूस करना था,

तो कहने लगे यह आ रहे हैं सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती जिनकी पहली फिल्म थी मृगिया और जिसका प्रोड्यूसर मर गया। तो ऐसी उनकी टाइमिंग होती थी मैं उनके बारे में यह कहूंगा कि जैसे लता जी गानों के लिए पैदा हुई थी। किशोर कुमार फिल्म मेकिंग के लिए पैदा हुए थे। अमिताभ बच्चन एक्टिंग के लिए पैदा हुए थे। असरानी साहब भी एक्टिंग के लिए पैदा हुए थे और ना सिर्फ उन्होंने एक्टिंग की बल्कि उन्होंने भरपूर मनोरंजन किया,

जिसने बहुत शानदार जिंदगी जी जिसने हर किस्म के रोल बहुत ही खुश असलूबी से निभाए। और जो कैमरे के सामने और कैमरे के पीछे लोगों को हंसाता रहा, लोगों का मनोरंजन करता रहा और जो एक उनका आइकॉनिक रोल है अंग्रेजों के जमाने का जेलर वो तो अमर हो गया है। रोल अमर हो गया है। तो कहने का मतलब यह है कि रोल छोटा नहीं होता या बड़ा नहीं होता। कलाकार बड़ा या छोटा होता है और उन्हें जितना भी काम मिला उनके टैलेंट के बलबूते पर मिला,

उनकी कॉमिक टाइमिंग की महारत के लिए मिला और बहुत ही कोऑपरेटिव इंसान थे। अ कभी उनके बारे में कोई शिकायत नहीं सुनी। की कमिटमेंट के पक्के थे और जब शोज़ करने जाते थे हम लोग साथ तो बहुत मनोरंजन करते थे लोगों का। बस यही कहता हूं कि असरानी साहब आप चले तो गए हो लेकिन जातेजाते एक शेर आपकी नजर करूंगा कि यूं तो आते हैं लोग जाते हैं यूं तो आते हैं लोग जाते हैं जिंदगी में हजार हां लेकिन इनमें कुछ ऐसे लोग होते हैं दिल पे.

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