मंजू बंसल का दर्द और असरानी जी की आखिरी इच्छा..

दिवाली का त्यौहार जब हर तरफ खुशियों के दीप जलते हैं। लेकिन कल की दिवाली कुछ उदास रही। बॉलीवुड के आसमान का एक चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया। 20 अक्टूबर को हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता हमारे सबके चहेते कॉमेडियन और एक्टर असरानी जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर से उनका परिवार और पूरा फिल्म जगत गहरे सदमे में है,

चार दिनों तक मुंबई के भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सोमवार दोपहर 3 से 3:30 बजे के बीच उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। असरानी जी की अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार बेहद शांत और निजी रहे। जिसमें केवल उनके करीबी परिवार के सदस्य ही शामिल हुए। उनकी पत्नी मंजू असरानी ने उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें सांता क्रूज वेस्ट के शास्त्रीनगर श्रवदा गृह में नम आंखों से अंतिम विदाई दी और इसी तरह हिंदी सिनेमा के एक युग का दुखद अंत हो गया,

लेकिन उनके प्रशंसक दशकों पुराने फिल्मों से उनके अमर किरदारों और बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग को कभी नहीं भूल पाएंगे। श्रोले के वह अंग्रेजों के जमाने के जेलर हो या चुपके-चुपके के प्यारे लाल। उनके हर किरदार ने हमें हंसाया, सोचने पर मजबूर किया और जिंदगी भर की यादें दी गई। उनके मैनेजर ने भारी मन से बताया कि डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती चली गई और अंततः उन्हें बचाया नहीं जा सका। एक ऐसा चेहरा जो हमेशा हंसी बिखेरता था,

आज हमें उदास छोड़ गया। उनके जाने के बाद उनकी जीवन संगिनी उनकी पत्नी मंजू असरानी अब अकेली रह गई हैं। इस दुख की घड़ी में असरानी जी के जीवन में उनकी पत्नी मंजू बंसल ईरानी का भी एक अहम स्थान है। साल 1970 के दशक में मंजू बंसल खुद एक लोकप्रिय अभिनेत्री थी। उनकी और असरानी जी की प्रेम कहानी आज की ताजा खबर और नमक हराम जैसी फिल्मों की शूटिंग के दौरान शुरू हुई,

साथ काम करते-करते वह कब एक दूसरे के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। इन फिल्मों के बाद दोनों ने शादी कर ली और शादी के बाद मंजू ने फिल्मी दुनिया में अपनी सक्रियता बनाए रखी। मंजू बंसल ने असरानी जी के साथ चांदी सोना, तपस्या, जानेबहार, जुर्माना, नालायक, सरकारी मेहमान और चोर सिपाही जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया। उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा। 1980 के दशक तक फिल्मों में सक्रिय रहने के बाद मंजू ने अभिनय से सन्यास ले लिया,

और सार्वजनिक रूप से भी दूरी बना ली। उन्होंने अपने निजी जीवन को हमेशा सुर्खियों से दूर रखा। असुरानी जी ने अपनी कला से हमें जो हंसी दी, जो खुशी दी, वह अमूल्य है। एक कलाकार कभी मरता नहीं। वह अपने किरदारों में हमेशा जीवित रहता है। उनकी मुस्कुराहट, उनका अनोखा अंदाज, उनके बेमिसाल डायलॉग्स यह सब हमारी यादों में हमेशा ताजा रहेंगे। भले ही आज उनके जाने का दुख है, लेकिन हम उनके जीवन और कला का जश्न मनाते रहेंगे.

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