असरानी अपने लुक की वजह से हो जाते थे रिजेक्ट, इस रोल ने बदली किस्मत..

84 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। वो 5 दिन से अस्पताल में भर्ती थे। असरानी ने 350 से ज्यादा बॉलीवुड फिल्मों में काम किया। फिल्म शोले में जेलर की भूमिका से शोहरत उनको मिली। कॉमेडी की दुनिया के बड़े सितारे असरानी रहे। उन्होंने शोले आज की ताजा खबर नमक हराम, बालिका वधू, बड़े मियां, छोटे मियां, दूल्हे राजा, मालामाल वीकली, धमाल जैसी तमाम जानी मानी फिल्मों में काम किया। कॉमेडी का उनका अपना ही एक अंदाज था जिसको फैंस बेहद पसंद करते थे। प्रशांत हमारे साथ हैं। प्रशांत अंग्रेजों के जमाने के जेलर के उनके किरदार से पूरा,

देश उनको जानता था। लेकिन 70 और 80 के दशक में जो 200 से ज्यादा फिल्में उन्होंने की उसमें एक बड़ा योगदान उनका इंडस्ट्री में रहा। जरा बताइए उनकी कुछ यादगार फिल्मों को और काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। जी बीमार तो मतलब इस तरह का आना जाना उनका अस्पताल में रहा। वो बहुत एक्टिव थे। अभी भी शो लेके टाइम पे शो लेके 30 साल पूरे हुए तो उनको उन्होंने काफी काफी जो इंटरव्यूज भी दिए थे। लेकिन अगर हम उनके करियर की अगर हम बात करें तो वो अभी फिल्मों में काम ना करने के बावजूद थिएटर वो कर रहे थे। बहुत सारे जो देश विदेश के,

दौरे उन्होंने अपने थिएटर के थ्रू किए हैं। नाट जो रंगमंच है उससे वो जुड़े रहे। लेकिन अगर शुरुआत की अगर उनकी बात करें तो वह करीब 1963 में वो मुंबई आए मुंबई आए और उन्होंने कोशिश की एक्टिंग करने की उससे पहले उन्होंने थिएटर थोड़ा बहुत किया लेकिन यहां पर आने के बाद उनको उन्होंने पुणे जो है पुणे फिल्म फिल्म इंस्टट्यूट उन्होंने वो जॉइ किया एफटीआई उन्होंने जॉइ किया और उसके बाद 1967 से उनको काम मिलना शुरू हुआ। तो उनकी जो पहली फिल्म थी वो हरे कांच की चूड़ियां थी जो विश्वजीत के साथ थी। लेकिन उनको लोग भले ही कॉमेडी,

रोल्स की वजह से जानते हैं। सपोर्टिंग रोल्स की वजह से जानते हैं। लेकिन मैं आपको बता दूं उन्होंने कुछ ऐसी फिल्में भी की जिनका कमाल उन्होंने उसमें काम किया। जैसे सीरियस रोल्स थे उसमें। उनकी एक फिल्म थी चला मुरारी चला मुरारी हीरो बनने जो उन्होंने डायरेक्ट भी की, प्रोड्यूस भी की और उसमें मेन लीड भी की उन्होंने। उनकी जो पत्नी थी वो भी उसमें काम कर रही थी। इसके अलावा एक फिल्म थी तपस्या जिसमें परीक्षित साहनी थे, राखी गुलजार थी। अ उन्होंने उस फिल्म में अगर आप देखेंगे तो आपको लगेगा नहीं कि ये वही असरानी है,

जिनको आप कॉमेडी किरदारों में देखते आए हैं। उन्होंने साउथ के बहुत सारे जो डायरेक्टर्स हैं उनके साथ काम किया और उसके अलावा जो 2000 तक वो बहुत सारी ऐसी फिल्मों में भी कभी कबभार नेगेटिव कैरेक्टर्स या फिर सीरियस कैरेक्टर्स भी वो करते रहे। आप जो कह रहे थे कि शोले से उनका जो नाम था वो हुआ है। जाहिर सी बात है लेकिन उससे पहले अगर बात करूं तो ऋषिकेश मुखर्जी गुलजारार्स ये ऐसे डायरेक्टर्स और फिल्मकार थे जो उनके काम से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और उन्होंने बार-बार अपनी फिल्मों पे उन्होंने उनको लिया। आपने बात की करीब 200 के करीब फिल्में उन्होंने उस,

वक्त 80 और 80 के और 70 के दशक में उन्होंने की 101 और 102 जिसकी वजह से उनके बारे में बहुत कुछ लिखा भी गया। एक रिकॉर्ड है वो एक डिकेड में सबसे ज्यादा फिल्में करने का उनका ये रिकॉर्ड था और उनके जो फिल्में हैं फिल्मों में ऐसा नहीं कि खाली कॉमेडी उन्होंने गाने भी गाए हैं फिल्मों में। इसके अलावा गुजराती सिनेमा में उन्होंने बहुत काम किया। गुजराती सिनेमा में सपोर्टिंग रोल एज अ अभिनेता एज एन एक्टर मेन लीड भी उन्होंने काम किया है। जी बिल्कुल तो एक बहुत लंबा अनुभव असरानी का रहा फिल्म इंडस्ट्री में और कुछ बहुत यादगार उनके जो किरदार थे वो हम सब,

ने यहां पर देखे और लेकिन प्रशांत जैसे कि आप भी बता रहे थे बहुत अच्छे वो कॉमेडी किया करते थे। उनकी टाइमिंग बहुत पसंद लोग करते थे। लेकिन सिर्फ कॉमेडी नहीं कुछ गंभीर किरदार भी उन्होंने ऐसे किए जो बहुत पसंद लोगों ने किए जरा उनके बारे में भी आप बताइए क्योंकि एक अलग पहलू उनका यह था। [संगीत] देखिए वो एक पढ़े लिखे अभिनेता थे। पढ़े लिखे से मेरा मतलब है उन्होंने पुणे इंस्टट्यूट से एक्टिंग का कोर्स किया था। 1964 से 1966 ऋषिकेश मुखर्जी और किशोर कुमार से उनकी एक मुलाकात मुंबई में हो गई थी। जयपुर के वो रहने वाले थे। उनके जो,

पिता हैं उनकी सारी की दुकान थी। वहां से उन्होंने एक्टिंग में कदम रखने की कोशिश की और जब वो आए मुंबई तो मुलाकात उनके किशोर कुमार और ऋषि मुखर्जी से जब हुई तो उन्होंने उनको कहा कि आप बकायदा अच्छी तरह से एक्टिंग सीखें जिसकी जिसके लिए उन्होंने पूरा इंस्टट्यूट ज्वाइन किया और अगर उनकी फिल्म है मेरे अपने जिसका डायरेक्शन किया था गुलजार साहब ने और उस फिल्म को आप देखें तो उसमें बहुत सारे ऐसे एक्टर्स हैं जो उस वक्त एफटीआईएस से निकले थे चाहे वो डेनी हो शत्रुघ्न सिन्हा हो वो सब लोग उस फिल्म में नजर आए थे आपको और,

उसके बाद उसके बाद उनको उनका जो एक तरह से कहिए कि सिक्का चल गया फिल्म इंडस्ट्री में क्योंकि लोगों को उनके काम जो है वह अच्छा लगने लगा। लेकिन फिर राजेश खन्ना के साथ जब उन्होंने 1969 के आसपास एक फिल्म की जिसमें उनके दोस्त बन थे। उसके बाद करीब 25 फिल्में उन्होंने राजेश खन्ना के साथ की जिनमें से रोटी थी और भी बहुत सारी फिल्में थी। लेकिन 69 में ही सत्य काम करके एक पिक्चर थी। 67 में जो मैंने कहा हरे कांच की चूड़िया से उन्होंने डेब्यू किया। 1969 में उन्होंने सत्यकाम धर्मेंद्र के साथ काम किया फिल्म में और,

उसके बाद वो नोटिस होना शुरू हुए और फिर धड़ाधड़ जो उनकी फिल्में आई हैं अगर हम 80 के दशक के बाद की बात करें तो बहुत सारी फिल्में आपने देखी होंगी जिनमें असरानी कादर खान और शक्ति कपूर की जोड़ी अक्सर नजर आती थी। 2000 के बाद की बात करें तो प्रियदर्शन की करीब-करीब सारी फिल्में जिनके आप नाम ले रहे थे। उन सभी फिल्मों में असरानी जो है वो नजर आए हैं और उन कमाल काम वो करते रहे हैं,

मैं आपको बताऊं मैंने उनके साथ एक बहुत लंबा इंटरव्यू भी किया था। उस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने जिस करियर के बारे में उनसे बात की जिस तो वो एक्टिंग इंस्टिट्यूट उन्होंने शुरू किया था। तो उनको एक लंबा अच्छा खासा एक्टिंग का अनुभव कैमरा के सामने था। थिएटर पे था और जैसा मैंने कहा पढ़े-लिखे एक्टर थे क्योंकि पुणे इंस्टिट्यूट से उन्होंने पढ़ाई की जी.

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