इस खास चीज को पहनकर अंतरिक्ष में क्यों जाते हैं अंतरिक्ष यात्री?..

शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में पहली बार पहुंचकर देश को गौरवान्वित कर दिया है। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में 14 दिन बिताकर करीब 10 जुलाई को वापस पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। लेकिन अंतरिक्ष में जाना और वहां पर रहना यह सब सुनने में जितना अच्छा लगता हो लेकिन असल में होता नहीं। अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को रहने और जीवन जीने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। साथ ही कई तरह के ऐसे काम करने पड़ते हैं जिसे सुनकर ही आपको घिन्न आने लगेगी। जैसे अंतरिक्ष में जो पानी पिया जाता है, वह अंतरिक्ष,

यात्रियों के पेशाब को रिसाइकल करके बनाया जाता है। इन्हीं अजीब कामों में से एक और अजीब काम है। अंतरिक्ष यात्रियों का कंडोम पहनकर अंतरिक्ष में जाना। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना। कंडोम। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर क्यों अंतरिक्ष यात्री कंडोम पहनकर अंतरिक्ष में जाते हैं? क्या वहां जाकर सेक्स करते हैं? और क्या शुभांशु शुक्ला भी कंडोम पहनकर अंतरिक्ष में गए हैं? आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आपके सवालों के सटीक जवाब। जब हम अंतरिक्ष में पेशाब करने की बात करते हैं तो सवाल उठता है कि बिना गुरुत्वाकर्षण के,

यह काम कैसे संभव होता है? धरती पर तो यह बेहद आसान है लेकिन माइक्रो ग्रेविटी की स्थिति में पेशाब को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। जैसे ही आप अंतरिक्ष में पेशाब करने लगेंगे, वह जीरो गुरुत्वाकर्षण की वजह से हवा में उड़ने लगेगा। इसी समस्या का समाधान करने के लिए नासा ने काफी अधिक रिसर्च की। जिसके बाद पहले अंतरिक्ष यात्रियों को शॉर्ट्स जैसा एक डायपर पहनाकर अंतरिक्ष में भेजा जाने लगा। लेकिन यह लंबे समय तक पहनने में बिल्कुल भी कंफर्टेबल नहीं था। इसी वजह से आया यह कंडोम जैसा पाउच। अंतरिक्ष यात्रियों को यह कंडोम जैसा पाउच पहनाकर,

अंतरिक्ष में भेजा जाने लगा। अंतरिक्ष यात्रियों को पेशाब के लिए यह खास तरह का पाउच बिल्कुल कंडोम की तरह था। हालांकि इन्हें महिलाओं के लिए डिजाइन नहीं किया गया था। नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री रस्टी श्वेका ने बताया कि पहले के समय में अंतरिक्ष यात्री एक खास कंडोम जैसी डिवाइस का इस्तेमाल करते थे। इसे पुरुषों के पेशाब करने वाले प्राइवेट पार्ट पर लगाया जाता था और यह एक ट्यूब से जुड़ा होता था जो पेशाब को एकत्र कर लेता था। यह डिवाइस माइक्रो ग्रेविटी में पेशाब को इकट्ठा करने का काम करती थी। लेकिन इसे लेकर कई,

दिक्कतें थी। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि सभी पुरुषों का शरीर आकार और बनावट में अलग-अलग होता है। इसलिए कंडोम सही फिट नहीं होता था। कई बार यह लीक हो जाता था जिससे बहुत असुविधा होती थी। इस समस्या के समाधान के लिए बाद में नासा ने इसे तीन अलग-अलग साइज में उपलब्ध कराया। छोटा, मीडियम और बड़ा। लेकिन जब अंतरिक्ष यात्रियों को साइज चुनने का मौका मिला तो ज्यादातर बड़े साइज को चुनते थे। जिसे पुरुष अहंकार से जोड़ा गया। इस पुरुष अहंकार के कारण नासा ने साइज के नाम बदल दिए ताकि किसी को भी शर्मिंदगीगी ना हो। छोटे साइज को लार्ज, मीडियम को एक्स्ट्रा,

लार्ज और बड़े साइज को हीरो नाम दिया गया। लेकिन फिर भी पुरुष अंतरिक्ष यात्री सबसे बड़े साइज हीरो को चुनने लगे। बड़ा साइज चुनने की वजह से इस तकनीक में लगातार लीक की समस्या बनी रही और साथ ही इस तकनीक का इस्तेमाल महिलाएं भी नहीं कर सकती थी। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आधुनिक पेशाब और पॉटी का सिस्टम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बनाया जिसे यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम यू डब्ल्यूएमएस कहते हैं। जिसके निर्माण में लगभग 23 मिलियन डॉलर अगर भारतीय रुपए में बात करें तो,

करीब $ अरब रुपए का खर्चा आया। यह आधुनिक सिस्टम ही आज तक अंतरिक्ष स्टेशन में इस्तेमाल हो रहा है। जिसमें पेशाब के लिए एक पीला पाइप और पॉटी के लिए पृथ्वी जैसी ही एक सीट होती है। जिसमें अंतरिक्ष यात्री अपनी दैनिक क्रियाओं को अंजाम दे सकते हैं। यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम में वैक्यूम लगा होता है जो पेशाब पॉट को अंदर खींच लेता है और वेस्ट को हवा में फैलने नहीं देता है। लेकिन आपको बता दें कि पेशाब और पॉटी को अलग-अलग टैंक में एकत्रित किया जाता है। क्योंकि इसी पेशाब की सहायता से अंतरिक्ष में पानी बनाया,

जाता है और पॉटी का टैंक भर जाने के बाद कारगो प्लेन पर लोड करके उसको पृथ्वी के एटमॉस्फियर में लाकर जला दिया जाता है। इस सिस्टम के आ जाने के बाद अंतरिक्ष यात्री अब इस कंडोम जैसे पाउच को नहीं पहनकर जाते हैं। क्योंकि वो जिस ड्रैगन यान से अंतरिक्ष में जाते हैं, उस ड्रैगन यान में भी यह सिस्टम लगा होता है और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में तो यह सिस्टम मौजूद है ही। आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला ने भी ऐसा कोई कंडोम नहीं पहना है क्योंकि वह भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग कर रहे हैं।,

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