तारीख 12 जून जगह अहमदाबाद। Air India फ्लाइट AI71 का वो खौफनाक हादसा जिसकी तस्वीरें आज भी जहन में सिहरन पैदा कर देती है। इस हादसे ने सैकड़ों परिवारों की दुनिया उजाड़ दी थी। लेकिन वक्त के साथ जो जख्म भरते दिख रहे थे, अब वह एक बार फिर हरे हो गए हैं। त्रासदी के महीनों बाद कुछ पीड़ित परिवारों को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल से एक फोन आता है। एक ऐसा बुलावा जिसने उनके पैरों तले जमीन खिसका दी। वो अस्पताल तो पहुंचे लेकिन जब उन्हें दोबारा उनके अपनों के अवशेषों का एक और सेट सौंपा गया तो उनके हाथ कांप उठे। रूह सिहर गई और,
आंखों के सामने दर्द का वही तूफान फिर से खड़ा हो गया। यह कोई प्रशासनिक भूल नहीं बल्कि एक दिल दहला देने वाली सच्चाई थी। दरअसल हादसे के बाद जब मेघानी नगर में क्रैश साइट से मलबा हटाया जा रहा था तब 16 और इंसानी अवशेष बरामद हुए थे। इन अवशेषों की डीएनए जांच की गई और जब रिपोर्ट आई तो इसने 16 परिवारों के घावों को फिर से कुरेद दिया। अहमदाबाद के इन परिवारों को बताया गया कि उनके प्रियजनों के कुछ और हिस्से मिल गए हैं। अस्पताल ने पूरी पारदर्शिता के साथ इन 16 परिवारों को एक सहमति पत्र भेजा। इसमें एक बेहद मुश्किल,
सवाल था। सवाल यह कि क्या अस्पताल इन अवशेषों का अंतिम संस्कार कर दे या परिवार खुद इन्हें लेकर दोबारा वो दर्दनाक रस्म निभाना चाहेंगे? परिवार वालों ने फैसला लिया। छह परिवारों ने अवशेष मांगे, नौ परिवारों ने अस्पताल को अनुमति दी और एक परिवार ने जवाब नहीं दिया। यह फैसला कितना कठिन रहा होगा इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। छह परिवारों ने हिम्मत जुटाकर कहा कि वह अपने जिगर के टुकड़ों को आखिरी बार खुद विदा करेंगे। नौ परिवारों ने शायद दोबारा उस दर्द से गुजरने की हिम्मत नहीं जुटाई और अस्पताल को ही अंतिम संस्कार की अनुमति दे दी।
वहीं एक परिवार अभी भी खामोश है। शायद इस नई हकीकत को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा। सूत्र बताते हैं कि बाद में मिले यह अवशेष बहुत छोटे हैं। किसी में शरीर का एक छोटा सा टुकड़ा है तो किसी में सिर्फ एक या दो हड्डियां। यह अवशेष उस भयावहता की गवाही देते हैं जिससे प्लेन में सवार 29 मुसाफिर, 12 क्रू मेंबर्स और जमीन पर मौजूद 19 लोग गुजर गए थे। हादसे को लेकर जो नए खुलासे हुए हैं, उस पर एक नजर डालते हैं। अहमदाबाद प्लेन क्रैश की जांच में एक चौंकाने वाला मोड़ भी आया है जिसने इस हादसे के रहस्य को सुलझाने की जगह और गहरा,
कर दिया है। एक अहम सिमुलेशन टेस्ट ने उन शुरुआती थ्योरी को खारिज कर दिया है। जिसके बाद अब सवाल यह है कि आखिर उन आखिरी 15 सेकंड में ऐसा क्या हुआ था जिसने एक उड़ते हुए विमान को मौत के ताबूत में बदल दिया। एक रिपोर्ट बताती है कि एयर इंडिया के सीनियर पायलटों ने एक हाईटेक सिमुलेटर में हादसे के वक्त की परिस्थितियों को हूबहू दोहराया। उन्होंने वर्चुअल प्लेन के लैंडिंग गियर नीचे रखे और विंग्स फ्लैप्स को बंद रखा। ठीक वैसे ही जैसे क्रैश हुए विमान में था। लेकिन नतीजा हैरान करने वाला था। सिमुलेशन में सिर्फ इन सेटिंग्स,
की वजह से विमान क्रैश नहीं हुआ। इस खुलासे ने जांच की सुई पायलट की संभावित गलती से हटाकर एक बड़ी और अचानक हुई तकनीकी खराबी की तरफ घुमा दी है। जिसमें दोनों इंजन का फेल होना भी एक बड़ी आशंका है। जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मलबे के विश्लेषण से पता चला कि टेक ऑफ के समय विंग्स के फ्लैप सही काम कर रहे थे। लेकिन इसके ठीक बाद ही पायलट ने मेडे यानी खतरे का सिग्नल भेजा। और सबसे दहलाने वाली बात मेड सिग्नल और विमान के जमीन से टकराने के बीच सिर्फ 15 सेकंड का फासला था। यानी पायलटों के पास कुछ भी समझने या,
करने का मौका ही नहीं था। फिलहाल देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो इस गु्थी को सुलझाने में जुटी है। उधर त्रासदी के बीच टाटा समूह ने मृतकों के परिवार वालों को एक एक करोड़ के मुआवजे का ऐलान कर इंसानियत की मिसाल पेश की है। तो एक हादसा, 260 मौतें और पीछे रह गए अंतहीन सवाल। इन परिवारों के लिए अब अंतिम संस्कार भी अधूरा रह गया है। वह एक ऐसी त्रासदी से गुजर रहे हैं जिसकी चिता की आग ठंडी पड़ने के बाद भी दर्द की आग लगातार जल रही है। यह एक ऐसा इंतजार है जिसके खत्म होने की उम्मीद भी एक नए दर्द की शुरुआत लगती है.