महंगी जैकेट, ब्रांडेड सनग्लासेस और क्रूज पर पोर्स। व्हाट इज स्टाइलिश? बागेश्वर बाबा यानी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर सोशल मीडिया पर छा गए हैं। लेकिन इस बार वजह कोई चमत्कार नहीं बल्कि उनका नया कोल्ड डूड वाला स्टाइलिश अंदाज है। ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान बाबा की कुछ तस्वीरें वायरल हुई हैं। इन तस्वीरों में उनके चेहरे पर जो कॉन्फिडेंस है, जो स्वैग है, वो अंदाज बिल्कुल ग्लोबल सेलिब्रिटी जैसा है। ऐसा लग ही नहीं रहा कि वो कोई बाबा हैं,
लेकिन जैसे ही ये तस्वीरें सामने आई, सोशल मीडिया पर रिएशंस की भी बाढ़ आ गई क्योंकि बाबा बागेश्वर इतने फेमस हो चुके हैं कि उनकी फैन फॉलोइंग भी है और ट्रोलर्स भी उन पर तंज कसने का मौका ढूंढते रहते हैं। किसी ने कहा यह बाबा है या मॉडल? तो किसी ने लिखा, “धार्मिक प्रवचन अब फैशन शो में बदल गया है।” खासकर इन तस्वीरों का टाइमिंग भी सवालों के घेरे में आया। यह तस्वीरें उसी हफ्ते वायरल हुई जब अहमदाबाद में भयानक विमान हादसा हुआ और देश गम में डूबा हुआ था,
थोड़ा विवाद हुआ तो बाबा ने भी चुप्पी तोड़ी। फिजी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा जिसने मेरी जैकेट और चश्मे की वीडियो डाली है वो सुन ले। यह खरीदे नहीं गए हैं। मेरे भक्तों की भेंट हैं। कथा में मिली दक्षिणा का इस्तेमाल निजी विलासिता में नहीं समाज सेवा में ही होता है। जैसे कैंसर अस्पताल बनवाना और गरीब बेटियों की मदद करना। जय सियाराम जय बागेश्वर धाम की। सन्यासी बाबा की जय। एक जंगल में एक गधे ने शेर को चुनौती दी कि आ मुझसे लड़,
तू होगा राजा अपने लिए। मुझसे जीत के बता तब तुझे शेर जंगल का राजा माना जाएगा। और शेर चुपचाप वहां से चला गया। एक चालाक लोमड़ी ने शेर से पूछा कि क्या बात है? तुम गधे से लड़े क्यों नहीं? उसने बड़ा भला बुरा कहा और तुम चुपचाप चले आए। शेर ने हंस के जवाब दिया, अरे बहन अगर हम गधे से लड़ जाते तो पक्का है एक पंजे में ही वह मर जाता। लेकिन हम जीतने के बाद भी हार जाते हैं। क्योंकि किससे जीतते? गधे से जीतते। लोग क्या कहते?,
जीते भी तो गधे से जीते। गधे से लड़ने का मतलब है खुद को गधा बनाना। इसलिए कई बार लोग आपको भला बुरा कहे, चुनौती दें, तरह-तरह की बातें करें। जरूरी नहीं है जवाब दिया जाए। जवाब तभी देना चाहिए जब बहुत जरूरी हो प्राणों की बाजी या आन बान शान की बात आ जाए वरना लोग बोलते रहेंगे कहते रहेंगे दुनिया का काम है कहना तुम्हारा काम है सहना अपने पथ पर चले चलो अपनी मंजिल जब तक ना मिले तब तक ठहरो मत रुको मत मंजिल को पाने के लिए नित्य पुरुषार्थ करते रहो पुरुषार्थ और पुरुषार्थ दोनों आपको मंजिल तक पहुंचाएंगे,
जो लोग तरह-तरह की बातें कह रहे हैं उनकी सिर्फ सहते रहो, सुनते रहो, चले चलो। यही जिंदगी का सार है। गधे को जवाब दोगे तो तुम भी गधे कहलाओगे। बाबा के समर्थन में भी बड़ी संख्या में लोग आए और उन्होंने क्या कुछ लिखा आपको दिखाते हैं। एक यूजर ने लिखा, “अगर शास्त्री जी को लोग सम्मान पूर्वक भेंट दे रहे हैं,
तो इसमें क्या गलत है?” एक अन्य यूजर लिखते हैं, उनका पहनावा उनकी गरिमा को दर्शाता है। ईर्ष्या करने वाले लोगों को दिक्कत क्यों है? लेकिन आलोचक अब भी सवाल पूछ रहे हैं। क्या एक आध्यात्मिक गुरु को पब्लिक इमेज के प्रति जिम्मेदार नहीं होना चाहिए? क्या संतों को सादगी से जीना चाहिए या अब धर्म और ग्लैमर साथ-साथ चलेंगे?
सच यह भी है कि धीरेंद्र शास्त्री अब सिर्फ कथावाचक नहीं बल्कि एक चर्चे चेहरा बन चुके हैं। उनके अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है और हर कदम पर उनके चाहने वाले और आलोचक दोनों बराबर मौजूद हैं। तो अब सवाल आपसे बागेश्वर बाबा के इस बदले हुए अंदाज को आप कैसे देखते हैं? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं। आपके कमेंट का हमें भी इंतजार रहेगा.