म्यांमार में जन्मा एक लड़का कैसे बना गुजरात का सीएम?..

कभी-कभी जिंदगी ऐसे मोड़ पर आकर रुक जाती है जहां तर्क की कोई जगह नहीं बचती। सिर्फ एक खामोशी होती है और पीछे छूट जाती है एक कहानी जो हमेशा के लिए याद रह जाती है। विजय रूपाणी एक नाम जो गुजरात की राजनीति का बेहद शांत और सुलझा हुआ चेहरा थे। एक ऐसे नेता जिन्होंने जमीन से उठकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया। लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था,

अहमदाबाद में एयर इंडिया की जो फ्लाइट क्रैश हुई उसी में विजय रूपाणी का भी निधन हो गया। लेकिन इस घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू था वो नंबर जिसे रूपाणी अपना लकी नंबर मानते थे 1206 सीट नंबर 2 डी तारीख थी 126 यानी 12 जून वही नंबर जिसे उन्होंने अपनी स्कूटी से लेकर कारों की नंबर प्लेट तक पर इस्तेमाल किया वही नंबर उनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव भी बन गया। यह सिर्फ एक संयोग नहीं था,

यह एक रहस्यमय इत्तेफाक था ऐसा जिसे समझ पाना इंसान के बस में नहीं था। विजय रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को बर्मा यानी म्यांमार के यांगून शहर में हुआ था। विमणिक लाल और मायाबेन रूपाणी के सात बच्चों में से सबसे छोटे थे। 1960 में राजनीतिक अस्थिरता के चलते उनका परिवार भारत लौट आया और गुजरात के राजकोट में बस गया। यहीं से शुरू हुआ एक साधारण लड़के का असाधारण सफर,

सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की पढ़ाई छात्र जीवन में ही एबीवीपी से जुड़े। 1971 में आरएसएस का हिस्सा बने और 1975 में जब देश में आपातकाल लगा तो लोकतंत्र की रक्षा के लिए 11 महीने जेल में बिताए। 1987 में कॉरपोरेटर बने। 1996 और 97 में राजकोट के मेयर 2006 में गुजरात पर्यटन निगम के चेयरमैन और उसी साल राज्यसभा के सदस्य। फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में म्युनिसिपल फाइनेंस बोर्ड के चेयरमैन बने,

2014 में विधायक बने। 2016 में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और फिर 7 अगस्त 2016 को विजय रूपाणी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने सुशासन, स्थिरता और शांति का प्रतीक बनकर गुजरात को आगे बढ़ाया। उनके कार्यकाल में सियासी विवाद भले कम रहे हो, लेकिन जनता के बीच उनकी सादगी और सेवा भावना हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी शादी भी एक दिलचस्प कहानी रही। आरएसएस के कार्यकर्ता अक्सर एक दूसरे के घर रुकते थे,

विजय रूपाणी जनसंघ से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के घर आते जाते थे। वहीं उनके ससुर निकले। वहीं हुई मुलाकात अंजलि जी से प्यार हुआ और फिर दोनों परिवारों की सहमति से शादी हुई। अंजलि खुद भाजपा महिला मोर्चा से जुड़ी रही और विजय रूपाणी ने हमेशा गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए काम किया। उनका एक बेटा पूजित 3 साल की उम्र में चल बसा। लेकिन इस दुख को उन्होंने सेवा में बदल दिया,

उन्होंने जितने भी घर बनाए सबको पूजित नाम दिया। गरीब बच्चों के लिए उन्होंने पूजित नाम से संस्था भी चलाई। आज जब विजय रूपाणी हमारे बीच नहीं है तब यह समझना और भी मुश्किल है कि 1206 जैसे लकी नंबर कैसे उनकी अंतिम सांसों से जुड़ गए। कभी-कभी किस्मत हमें वह नहीं देती जो हम चाहते हैं। कभी-कभी वह हमसे छीन लेती है। वह भी चुपचाप लेकिन यादें वह कभी नहीं चाहती,

विजय रूपाणी का सफर एक सबक है कि विनम्रता, ईमानदारी और सेवा से कोई भी नेता लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहता है। अगर आप भी विजय रूपाणी की यह संघर्ष भरी और भावुक यात्रा देखकर भावुक हुए हैं तो इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और कमेंट में लिखें विजय रूपाणी जी को श्रद्धांजलि। आप अपने कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं.

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